अखिल भारत हिन्दू महासभा ने शनिवार को उम्मीद जताई कि अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने की राह में आने वाली सभी बाधाएं ‘दूर हो जाएंगी’ और लोग जल्द ही इसका निर्माण होता देख सकेंगे.
संगठन के प्रमुख चन्द्र प्रकाश कौशिक की यह टिप्पणी इन खबरों के बीच आयी है कि ऑर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर द्वारा इस मुद्दे पर बातचीत की मध्यस्थता करने की पेशकश की गई है.
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और निर्मोही अखाड़ा के सदस्यों ने बेंगलुरु के आश्रम में रविशंकर से मुलाकात की.
'अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जल्द'
कौशिक ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि राम मंदिर के निर्माण में आने वाली सभी बाधायें दूर हो जाएंगी और बहुत जल्द अयोध्या में विशाल राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा.' उन्होंने कहा, 'गुरुदेव के साथ बैठक फलदायी रही.'
गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बेंगलुरु में रविशंकर से मुलाकात की थी और उन्हें बोर्ड के इस नजरिये से वाकिफ कराया था कि विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए.
महंतों और मौलानाओं से श्रीश्री की भेंट
बताया जाता है कि अयोध्या मुद्दे को हल करने के लिये रविशंकर ने हाल में ही निर्मोही अखाड़ा के महंतों और मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रमुखों से मुलाकात की थी.
धार्मिक और व्यक्तिगत मामलों की सर्वोच्च इस्लामी निकाय होने के बावजूद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) इस मामले में पक्षकार नहीं है. मुस्लिम समुदाय के बीच इसका काफी प्रभाव है.
कश्मीर के लिए श्रीश्री का पैगाम-ए-मोहब्बत
इसके अलावा श्रीश्री ने कश्मीर में अमन-बहाली के लिए मध्यस्थता की पहल की. उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में शांति लाने के लिए ऑर्ट ऑफ लिविंग ने एक छोटा कदम उठाया है. उन्होंने जल्द ही हुर्रियत नेताओं से मुलाकात करने की भी बात कही है. वह शहीदों के परिवार वालों और हथियार डालकर सामान्य जीवन जीने वाले पूर्व आतंकवादियों को साथ लाने के लिए बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम ‘पैगाम-ए-मोहब्बत’ में मीडिया से बातचीत कर रहे थे.
'कश्मीर को स्विटजरलैंड बन जाना चाहिए था'
'पैगाम-ए-मोहब्बत' कार्यक्रम में इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी भी शामिल हुए और कश्मीर में हिंसा खत्म करने का मूलमंत्र बताया. उन्होंने कहा, "पिछले कुछ दशकों से कश्मीर पर जो पैसा खर्च किया जा रहा है, उससे कश्मीर को स्विट्जरलैंड बन जाना चाहिए था. ना सिर्फ खूबसूरती में बल्कि संपन्नता में भी. तब कश्मीर में गरीबी नहीं होती, ना ही कोई समस्या होती. लेकिन मेरी राय में राजनीतिक वजहों से ऐसा हुआ. इसलिए राजनीति को दूर रखिए और इंसानियत को पास लाइए."
कुर्बानी देने वाले परिवार भी हुए शामिल
कश्मीर घाटी में पनपे अविश्वास के माहौल में दिलों के बीच बनी खाई को भरने और कश्मीर वासियों से मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों के परिजनों, शहीद सैनिकों के परिवार वालों और गोलीबारी में जान गंवा चुके स्थानीय लोगों के परिवार वालों को खासतौर पर शामिल किया गया.