भारत समेत पांच देशों की ओर से सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किए जाने के बाद पाकिस्तान आखिरकार घुटनों के बल आ गया. पाकिस्तान ने शुक्रवार को ऐलान किया कि सम्मेलन फिलहाल स्थगित किया जा रहा है और नई तारीखों का ऐलान जल्द किया जाएगा.
श्रीलंका ने शुक्रवार को ही सार्क समिट में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. इससे पहले भारत, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान भी इस्लामाबाद में होने वाले सार्क सम्मेलन में जाने से मना कर चुके हैं. उरी अटैक के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए सार्क की बैठक में शामिल होने से मना कर दिया था.
दरअसल भारत के सार्क में शामिल होने से इनकार करने के बाद ही कई देशों ने भारत का समर्थन करते हुए इस्लामाबाद के सम्मेलन में शिरकत करने से मना किया. लेकिन श्रीलंका का सार्क में न जाने का फैसला ठीक उस वक्त आया है जब श्रीलंका के पीएम रनिल विक्रमेसिंघे भारत का दौरा करने वाले हैं. 4 से 6 अक्टूबर को श्रीलंका के पीएम भारत में होंगे.
रद्द होने की आई थी खबर
इससे पहले खबर आई थी कि इस साल नवंबर में इस्लामाबाद में होने वाला 19वां सार्क सम्मेलन स्थगित हो गया है. सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल की मीडिया ने यह खबर दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि आज की तारीख में जैसा माहौल बना है, वैसे में हम पाकिस्तान नहीं जा सकते. हालांकि सार्क सम्मेलन होना है कि नहीं, इसका आधिकारिक ऐलान नेपाल को ही करना है.
नेपाल है सार्क का अध्यक्ष
आठ सदस्यीय सार्क का मौजूदा अध्यक्ष नेपाल ही है और इस लिहाज से नेपाली मीडिया की इस खबर की अहमियत भी है. भारत ने अपने फैसले से नेपाल को अवगत करा दिया है कि पीएम नरेंद्र मोदी नवंबर में प्रस्तावित सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने इस्लामाबाद नहीं जाएंगे. नियमों के मुताबिक सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है. अगर एक भी सदस्य सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेता है तो इसे स्थगित करना पड़ता है या रद्द करना पड़ता है. साल 1985 में बने इस गुट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल हैं.
पहली बार भारत ने किया है बायकॉट
1985 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत ने सार्क सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है. भारत के अलावा सार्क के अन्य तीन सदस्य देशों ने भी पाकिस्तान पर आंतक को पनाह देने का आरोप लगाते हुए सम्मेलन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.