केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा है कि संसद में संख्या बल चलता है और नैतिक बल का कोई स्थान नहीं है. पूरी दूनिया में एफडीआई नैतिक बल के आधार पर नहीं, बल्कि संख्या बल के आधार पर लागू है, चाहे वह चीन हो या कोई अन्य देश हो.
संसद में विपक्षी पार्टियों के विरोध पर उन्होंने कहा, ‘मेरे बचपन में एक कहावत थी, पांडे जी पछतायेंगे वहीं चैन की खायेंगे. जो राज्य आज अपने यहां एफडीआई का विरोध कर रहे है. आने वाले पांच सालों में अपने यहां इसे लागू करेंगे.’
बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा राज्यसभा में कांग्रेस को दिये गये समर्थन की बाबत जायसवाल से पूछा गया कि क्या अब यह माना जाये कि वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी मिल कर लड़ेंगी, इस पर उन्होंने कहा कि इससे आप बस इतना समझें कि इन पार्टियों को जो कदम सही लगा उन्होंने उसका समर्थन किया. आप इस समर्थन से काई नये अर्थ न निकालें, क्योंकि अब लोकसभा चुनाव में बहुत समय बाकी है और अभी इस समर्थन का कोई भी अर्थ निकालना बेमानी होगा.
एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे जायसवाल से पूछा गया कि उद्योगपति रतन टाटा सरकार से नाराज हैं, इस पर उन्होंने कहा कि सरकार के मुखिया डॉ. मनमोहन सिंह अर्थशास्त्री हैं और मुल्क के हित में फैसले लेते हैं. जिसको कोई शिकायत हो, वह उनसे बात कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. एफडीआई का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लेते हुए जायसवाल ने कहा कि जो लोग एफडीआई की सच्चाई जानते हैं, उन्होंने इसका समर्थन किया. अगर कोई राज्य अपने यहां एफडीआई नहीं लागू करना चाहता, तो आप दूसरे राज्य, जो इसे लागू करना चाहते हैं, उन्हें कैसे रोक सकते है.
उन्होंने कहा कि 1991 में जब मनमोहन सिंह आर्थिक सुधार के लिये कार्यक्रम लाए थे, तो सभी पार्टियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन बाद में बुद्धदेव भट्टाचार्य से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक सभी अपने प्रदेशों में आर्थिक निवेश के लिये दुनिया भर के देशों में चक्कर काट कर रहे थे, जबकि वामपंथी और बीजेपी के यह मुख्यमंत्री लगातार विरोध कर रहे थे.
जायसवाल ने कहा कि जब तक देश प्रगति नहीं करेगा, तब तक किसी का कोई भला नहीं होने वालो है. यदि किसी घराने को नाराजगी है, तो वे प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात कहें उसका समाधान निकलेगा. बीजेपी और अन्य दलों की नाराजगी की बाबत पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि चूंकि अब उनके पास कुछ नहीं बचा है एफडीआई राज्य सभा और लोकसभा दोनों जगह से पास हो गया है, इसलिए अब उनकी जो मर्जी में आये, कहते रहें उससे कोई असर नहीं पड़ने वाला है. इसके लिये हमने अपनी सरकार दांव पर लगा दी थी.