भट्टा-पारसौल की महिलाओं से बलात्कार के आरोपों की जांच में कथित रूप से सहयोग नहीं करने पर नोएडा के एसएसपी ज्योति नारायण के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कहा है कि उसका मकसद पुलिस अधिकारी को जेल भिजवाना नहीं बल्कि 25 अक्तूबर को अगली सुनवाई में उन्हें पेश करवाना है.
आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने कहा कि भट्टा-पारसौल मामले में नोटिस और समन का जवाब नहीं देने पर एसएसपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है जिसे उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भेजा जाएगा.
पुनिया ने कहा, ‘आयोग का मकसद उन्हें (नोएडा एसएसपी) जेल भिजवाना नहीं है. हम चाहते हैं कि 25 अक्तूबर को इस मामले की अगली सुनवाई के दौरान वह उपस्थित हों.’ उधर, गिरफ्तारी वारंट के बारे में पूछे जाने पर एसएसपी ज्योति नारायण ने कहा, ‘मुझे अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. जानकारी होने पर ही मैं इस बारे में कुछ कह सकता हूं.’
गौरतलब है कि इस साल मई में ग्रेटर नोएडा के भट्टा-पारसौल गांवों में भूमि अधिग्रहण को लेकर पुलिस और ग्रामीणों के बीच संघर्ष हुआ था जिसमें दो पुलिसकर्मियों सहित चार लोगों की मौत हुई थी. इस घटना के बाद कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और दिग्विजय सिंह ने इन गांवों का दौरा करके पुलिसकर्मियों पर महिलाओं से बलात्कार करने के आरोप लगाए थे.
भट्टा-पारसौल गांवों की पिछड़े वर्ग की सात महिलाओं ने आयोग में हलफनामे दाखिल करके आरोप लगाए थे कि संघर्ष के दौरान पुलिसकर्मियों ने उनसे बलात्कार किया था. आयोग ने इन हलफनामों के आधार पर नोएडा पुलिस को आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद राज्य की मायावती सरकार ने यह मामला सीबी सीआईडी को सौंप दिया.
आदेश के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर आयोग ने नोएडा एसएसपी को पहले नोटिस और फिर समन भेजा लेकिन उनके अनुपस्थित रहने के बाद गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया.
इससे पहले, पिछली सुनवाई में इस मामले को देख रहीं आयोग की सदस्य लता प्रियकुमार के सामने नोएडा एसएसपी उपस्थित नहीं हुए थे और उनके प्रतिनिधि के तौर पर ग्रेटर नोएडा के सीओ अम्बेश त्यागी आए थे. उन्होंने एसएसपी की ओर से दलील दी कि इस मामले की जांच अब सीबी सीआईडी कर रही है.
पुनिया ने कहा, ‘संविधान के अनुच्छेद 338 के अनुसार, आयोग में दीवानी अदालत की शक्तियां निहित हैं. हमने इन्हीं शक्तियों का प्रयोग किया है.’ अजा आयोग के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी हाल में इस मामले में अपनी रिपोर्ट महिला एवं बाल कल्याण मंत्री कृष्णा तीरथ को सौंपी है. इस रिपोर्ट में कथित रूप से यह बात है कि मई में संघर्ष के दौरान सात महिलाओं से बलात्कार किया गया था.
महिला आयोग का कहना है कि वह आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है.