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व्यंग्य: कबीरा तेरे देस में भांति-भांति के मूर्ख

दुनिया का पहला मूर्ख कौन था? जवाब खोजने निकलें तो पता चलता है, वो कोई एक नही राक्षसों का पूरा कुनबा था जिसने समुद्र मंथन से निकले अमृत को नारी के चक्कर में गंवा दिया. थोड़ा आगे बढ़ें तो भस्मासुर का जिक्र आता है जो प्रैंक में फंसकर खुद को जला बैठा था, शायद अब आपको समझ आए कि फेक मादा प्रोफाइल्स का खौफ आज से नही युगों से चला आ रहा है.

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दुनिया का पहला मूर्ख कौन था? जवाब खोजने निकलें तो पता चलता है, वो कोई एक नही राक्षसों का पूरा कुनबा था जिसने समुद्र मंथन से निकले अमृत को नारी के चक्कर में गंवा दिया. थोड़ा आगे बढ़ें तो भस्मासुर का जिक्र आता है जो प्रैंक में फंसकर खुद को जला बैठा था, शायद अब आपको समझ आए कि फेक मादा प्रोफाइल्स का खौफ आज से नही युगों से चला आ रहा है.

रावण को बल-बुद्धि का बड़ा अभिमान था, सोने का हिरण प्लांट किया, खुद साधु का गेटअप बनाया, किडनैपिंग की, घर में आग लगवाई, अंत में पता चला जिन्हें लाया था वो तो छायामात्र थीं. होशियारी के फेर में जान गई गरीब की, बन गया बुद्धू. इतिहास उठाकर पलटें तो सबकी कहानी में एक चीज कॉमन रही, ये नही कि सब की मति नारी के फेर में मारी गई, बल्कि सब लालच में मारे गए, सब राक्षसी प्रवृत्ति के थे.

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अब आप जब भी आप मूर्ख बनें खुद को टटोलें खुद में राक्षस छुपा पाएंगे या हो सकता है न भी पाएं मूर्ख बनने के लिए राक्षस होना जरूरी नही है, वोटर होना भी काफी है.मूर्ख सिर्फ एक अप्रैल नही साल के बाकी दिनों में भी हर ओर नजर आते हैं, वर्गीकृत किया जाए तो पुराने तरीके के कुछ नए मूर्ख नजर आते हैं. ध्यान से इन्हें देखें तो पता लगेगा ये ही वो 'चार लोग' होते हैं जो 'क्या कहेंगे'? इस बात पर बचपन से हमें डराया जाता है.आइए जरा जानते हैं मूर्खों के प्रकारों के बारे में.

धरम-धरम के मूरख
जिन्होंने जन्म भर में दो श्लोक भी न रटें हों, एक आयत न पढ़ी हो, महीने में एक भी बार चर्च न जाते हों, लेकिन धर्म का नाम सामने आते ही सींगे निकाल दौड़ पड़ते हैं, इनकी पहचान ये है कि ऊपर की पंक्ति पढ़कर कह सकते हैं हिन्दू-मुस्लिम-ईसाई का जिक्र किया पर सिख का क्यों नही? इन्हें धर्म हमेशा खतरे में नजर आता है, गोया वो डोडो पक्षी का आखिरी अण्डा हो. ये सम्मान पाते हैं, कॉलेज के मुंहलगे लड़कों, किसी छुटभैय्या नेता और नुक्कड़ के पनवारी से.

वेब-कूफ
इसमें हर तरह के इन्टरनेटहे मूर्खों को शामिल किया जा सकता है,हर बात पर ट्वीट करने वाले,पूनम-कमाल को फॉलो करने वाले,फर्जी प्रोफाइल्स से दिल लगाने वाले,स्पैम मेल्स में पैसे गँवाने वाले,फ्री-रिचार्ज के चक्कर में फिशिंग में पड़ जाने वाले। लेकिन मूर्खों के इस वर्ग में शीर्ष पर वो होते हैं जो इंटरनेट पर दुनिया-जहान को गालियाँ देकर आशा रखते हैं कि सब ठीक हो जाएगा.

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लालची मूर्ख
शॉर्टकट में पैसे कमाने की,रातोंरात अमीर बन जाने की तमाम तरकीबें इनके पास होती हैं,बस होता नही है तो अंटी में दाम. कई बार ये आपको 90 के दशक का कोई किरदार लगते हैं,क्योंकि पैसे गँवाने के इनके तरीके अब भी बीसियों साल पुराने होते हैं,अब भी इन्हें कोई डेढ़ हजार में सूट का कपड़ा देकर ठगता है,चेन मार्केटिंग कंपनियों की मीटिंग में मुफ्त का चाय-समोसा मिलना इनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है.

कुंठित मूर्ख
ये ढलती उमर और अधपके बालों वाले अधेड़ होते हैं,इनमें शिकायती प्रवृत्ति और कुण्ठा बहुतायत में पाई जाती है,इन्हें दुनिया की हर चीज से शिकायत हो सकती है,गर्मी बढ़ने से,मौसम बदलने से,ऑनलाइन होती चीजों से,लोगों के ड्रेसिंग सेन्स से,खिलाड़ियों से,पड़ोसी के बच्चों से,हवा से,पानी से और सबसे ज्यादा अपनी पत्नी से.

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