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स्टालिन लड़ेंगे दलित उत्थान की लड़ाईः करुणानिधि

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने कहा कि उनके दूसरे बेटे एम.के. स्टालिन उनके बाद दलित समुदाय के उत्थान की लड़ाई लड़ेंगे और इस अभियान में पार्टी के मशाल वाहक होंगे.

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करुणानिधि
करुणानिधि

द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने कहा कि उनके दूसरे बेटे एम.के. स्टालिन उनके बाद दलित समुदाय के उत्थान की लड़ाई लड़ेंगे और इस अभियान में पार्टी के मशाल वाहक होंगे.

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करुणानिधि ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैं दलित समुदाय के उत्थान के लिए मरते दम तक काम करता रहूंगा. मेरे गुजरने के बाद स्टालिन यह दायित्व संभालेंगे, यह आप सभी को नहीं भूलना चाहिए.’ इस कार्यक्रम में पट्टालि मक्कल काची (पीएमके) पार्टी के 2,000 से अधिक सदस्य डीएमके में शामिल हुए.

इस बीच, करुणानिधि के इस बयान का मतलब निकाला जा रहा है कि उन्होंने अपने बड़े बेटे एम.के. अलागिरि की तुलना में छोटे बेटे स्टालिन को प्राथमिकता देकर उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है, जबकि राजनीतिक टिप्पणीकारों ने इसे एक छलपूर्ण रणनीति बताते हुए डीएमके नेता की इस घोषणा को पुरानी बात बताकर इसे खारिज कर दिया है.

करुणानिधि ने यह भी कहा कि वह एक दलित महिला के ससुर हैं, क्योंकि उनके बड़े बेटे एवं केंद्रीय मंत्री एम.के. अलागिरि की पत्नी गंधी दलित समुदाय से आती हैं.

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डीएमके प्रमुख ने कहा कि जब गंधी उनकी पत्नी को ‘अत्थाई’ (चाची) कहती हैं, तब उन्हें अपार खुशी होती है.

करुणानिधि के बयान का मीडिया में यह मतलब निकालने पर कि अलागिरि के बदले स्टालिन को उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया गया है, राजनीतिक टिप्पणीकार ज्ञानी ने कहा, ‘डीएमके में उत्तराधिकारी के मुद्दे का हल निकाला जा चुका है और पार्टी में यह कोई मुद्दा नहीं है. यह पहले से तय है कि स्टालिन ही करुणानिधि के उत्तराधिकारी होंगे.’

ज्ञानी ने कहा कि डीएमके जब राज्य की सत्ता में थी, तब अलागिरि को राज्य में मंत्री का पद नहीं दिया गया था, वहीं स्टालिन को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.

उन्होंने कहा कि करुणानिधि मीडिया का ध्यान ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) महासचिव एवं मुख्यमंत्री जे. जयललिता की हाल की इस घोषणा से ध्यान हटाने का एक प्रयास है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में अकेले ही उतरेगी.

ज्ञानी ने कहा, ‘जयललिता तमिलनाडु को कावेरी के पानी में उसका हिस्सा नहीं मिलने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराती हैं. करुणानिधि ने जयललिता के इस आरोप पर कोई जवाब नहीं दिया था कि दो राष्ट्रीय दल कावेरी जल के बंटवारे में बाधक हैं.’

दरअसल, राज्य के राजनीतिक दलों की यह विवशता है कि वह तमिलनाडु के प्रति निष्ठा दिखाएं.

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उल्लेखनीय है कि पिछले महीने कावेरी जल के मुद्दे पर मारूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के लगभग 250 कार्यकर्ताओं ने भी सत्तारूढ़ एआईएडीएमके का साथ दिया था.

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