मोदी सरकार 2.0 ने अपने पहले बजट में सीधे तौर पर रोजगार देने की तुलना में स्टार्ट-अप पर जोर दिया है. 4 साल पुराने 'स्टार्ट-अप इंडिया' में लोगों का अब रुझान बढ़ने लगा है, खासकर युवाओं में. देशभर में अब तक करीब 20 हजार स्टार्टअप्स पंजीकृत कराए जा चुके हैं, इसे शुरू करने और कामयाब बनाने के लिए आगे के रास्ते भी आसान किए जा रहे हैं. सरकार का लक्ष्य अब नौकरी करने की बजाए नौकरी देने वाला बनाने का है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2015 में नवप्रवर्तन और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के मकसद से राष्ट्रीय स्तर पर 'स्टार्ट-अप इंडिया' अभियान के नाम से एक नई शुरुआत करने का ऐलान किया था. 16 जनवरी 2016 को मोदी सरकार ने 'स्टार्ट-अप इंडिया' की शुरुआत की थी. अब तक (8 जुलाई) उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड, DPIIT) की ओर से 19,782 स्टार्टअप पंजीकृत किए जा चुके हैं जिसमें 540 से ज्यादा एंजल टैक्स से छूट के दायरे में आएंगे.
महाराष्ट्र सबसे आगे
स्टार्टअप इंडिया डॉट जीओवी डॉट इन के अनुसार, अभी तक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा स्टार्टअप शुरू करने को मान्यता दी गई है. स्टार्टअप पर नजर रखने वाली डीपीआईआईटी ने महाराष्ट्र में 8402, दिल्ली में 7903, कर्नाटक और केरल दोनों में 5512 स्टार्टअप शुरू करने को मान्यता दी है. इस मामले में सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश पांचवें पायदान पर है.
डीपीआईआईटी ने उत्तर प्रदेश के 4328 स्टार्टअप को मान्यता दी है. खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'स्टार्ट-अप इंडिया' अभियान को लेकर इस बार गुजरात में खास असर नहीं दिख रहा क्योंकि उनके गृह राज्य गुजरात से इस बार महज 2693 स्टार्टअप्स को ही पंजीकृत कराया गया है. नित नई चीजों के प्रयोग करने और बिजनेस में खासा रुचि रखने वाला पंजाब स्टार्ट-अप शुरू करने में काफी पीछे दिख रहा है. यहां से महज 498 स्टार्ट-अप शुरू करने को मान्यता मिली है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्य बिहार में भी इसको लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिख रहा और यहां पर महज 700 स्टार्टअप को ही मान्यता दी गई है. केंद्र सरकार को लगातार चुनौती देने वाली ममता बनर्जी के राज्य पश्चिम बंगाल में भी इसको लेकर कोई खास रुचि नहीं दिख रही क्योंकि वहां महज 1511 स्टार्टअप शुरू किए जा रहे हैं. बिहार और पंजाब जैसे बड़े राज्य इस मामले में फिसड्डी साबित हुई है.
पहली रैंकिंग में गुजरात ने मारी थी बाजी
हालांकि डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन (DIPP) ने पिछले साल दिसंबर में पहली स्टार्ट-अप रैंकिंग जारी की थी जिसमें 6 अलग-अलग वर्गों पर आधारित रैंकिंग में गुजरात को पहला स्थान मिला था. गुजरात को बेस्ट परफॉर्मर स्टेट करार दिया गया. इसके बाद टॉप परफॉर्मर राज्यों में कर्नाटक, केरल, ओडिशा और राजस्थान को रखा गया था.
तीसरे नंबर के लीडर्स ग्रुप में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना राज्य हैं. जबकि उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों को महत्वाकांक्षी राज्य के रूप में शामिल किया गया.
बेंगलुरु अव्वल शहर
वहीं फोर्ब्स इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि 2019 में सबसे ज्यादा स्टार्ट-अप शुरू करने के मामले में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु पहले पायदान पर है. बेंगलुरु में इस साल 3282 स्टार्ट-अप शुरू किए गए. जबकि इसके बाद दिल्ली (2865), मुंबई (2363), हैदराबाद (1225) और पुणे (1134) का नंबर आता है. अन्य 5 बड़े शहरों गुरुग्राम (1047), चेन्नई (965), नोएडा (745), अहमदाबाद (637) और कोलकाता (486) में सबसे ज्यादा स्टार्ट-अप शुरू किए गए.
नोएडा की एक भी कपंनी यूनिकॉर्न नहीं
स्टार्ट-अप में राजस्व के आधार पर कंपनियों को 3 तरह के ग्रुप में रखा जाता है. पहला, यूनिकॉर्न (Unicorn) जिसमें एक कंपनी का वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर या उससे ज्यादा का रहा. इसके बाद सूनिकॉर्न (Soonicorn) का नंबर आता है जो यूनीकॉर्न बनने की राह पर होता है. एक होता है मिनिकॉर्न (Minicorn), इसमें शामिल कंपनियों के बारे में कहा जाता है कि यह कंपनी शानदार प्रदर्शन कर रही है और इसके बड़े बाजार में आगे बढ़ने या फिर छोटे बाजार में टिके होने की संभावना ज्यादा रहती है.
स्टार्ट-अप के मामले में शीर्ष 10 में शामिल शहरों में 33 स्टार्ट-अप को यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल है, जिसमें बेंगलुरु से सबसे ज्यादा 14 स्टार्ट-अप शामिल हैं. फिर दिल्ली (7) और मुंबई (6) का नंबर आता है. शीर्ष 10 में शहरों में शामिल नोएडा, अहमदाबाद और कोलकाता जैसे बड़े शहरों के पास एक भी स्टार्टअप ऐसा नहीं है जिसे यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल हो.
स्टार्ट-अप छोटे शहरों के लिए ज्यादा मुफीद
फोर्ब्स इंडिया के अनुसार, स्टार्ट-अप इंडिया अभियान के तहत भारत में नए बिजनेस तेजी से अपनी जगह बना रहे हैं और जोरदार प्रतिस्पर्धा दिख रहा है. देश के बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहर 'स्टार्टअप इंडिया' मुहिम को तेजी से अपना रहे हैं. इंदौर, जयपुर, रायपुर तथा चंडीगढ़ जैसे शहरों में यह अभियान ज्यादा कामयाबी हासिल कर रहा है.
छोटे शहरों में स्टार्ट-अप का बढ़ रहा क्रेज (सांकेतिक-GETTYIMAGES)
छोटे शहरों में स्टार्टअप को लेकर बढ़े रुझान के पीछे कई अहम कारण हैं. बड़े शहर ट्रैफिक समस्या, सड़कों पर भारी भीड़ और महंगाई की मार झेलते हैं. मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरू जैसे बड़े शहरों को आए दिन भारी ट्रैफिक के कारण कई कामकाजी घंटों का नुकसान उठाना पड़ता है. जबकि छोटे शहरों में देखा जाए तो यहां पर ट्रैफिक जाम की कोई बड़ी समस्या नहीं होती. जाम नहीं होने के कारण लोगों का समय बर्बाद नहीं होता. मजदूरी सस्ती होती है. लागत भी ज्यादा नहीं होती.
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप हब
'स्टार्टअप अभियान' धीरे-धीरे अपनी पहचान बना रहा है और देश के युवा इसे अपनाते हुए नौकरी की जगह नौकरी देने की स्थिति में आते दिख रहे हैं. नॉस्कॉम के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप हब है. नॉस्कॉम और जिनोव ने पिछले साल अक्टूबर में 'इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम 2018: अप्रोचिंग एस्केप वेलोसिटी' नाम से जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप हब हो गया है.
हालांकि शीर्ष पर कायम 2 देशों की तुलना में भारत काफी पीछे है. सबसे सफल कंपनियों यानी यूनिकॉर्न के नंबरों के आधार पर देखा जाए तो अमेरिका और चीन में सबसे ज्यादा क्रमशः 126 और 77 यूनिकॉर्न हैं जबकि भारत में इसकी संख्या 18 तक पहुंच गई. इंग्लैंड में 15 और जर्मनी में 6 यूनिकॉर्न हैं. 2018 में यूनिकॉर्न लिस्ट में भारत की 8 कंपनियां शामिल हुईं और यह एक कैलेंडर साल में उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा.
अमेरिका से आगे भारत
स्टार्टअप के बाद उसे यूनिकॉर्न क्लब में शामिल होने के मामले में भारत की स्पीड अमोरिका से तेज है. अमेरिका में औसतन 6 से 8 साल में स्टार्टअप यूनिकॉर्न में अपनी जगह बनाने में कामयाब होती है जबकि भारत में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने में 5 से 7 साल लगते हैं. हालांकि भारत इस मामले में चीन से पीछे है और वहां पर 4 से 6 साल का समय लगता है.
2017 में ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत को 3 स्थान का फायदा हुआ है. 2017 में भारत 60वें पायदान पर था और 2018 में वह 57वें स्थान पर आ गया.
बेंगलुरु ग्लोबल टॉप-3 शहर
बेंगलुरु टेक स्टार्टअप लॉन्च करने के मामले में दुनिया के 3 बड़े शहरों में शामिल है. नॉस्कॉम की रिपोर्ट के अनुसार बेंगलुरु टेक स्टार्ट-अप के मामले में तेजी से उभरता शहर है. 2018 में यहां पर कुल स्टार्ट-अप में से अकेले 1200 टेक स्टार्टअप शुरु किए गए.
नॉस्कॉम की रिपोर्ट कहती है कि स्टार्ट-अप में निवेश लगभग दोगुना हो गया है. 2017 में जहां 2 बिलियन डॉलर की राशि स्टार्टअप में निवेश की गई थी वो 2018 में बढ़कर 4.2 बिलियन डॉलर हो गई. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि निवेश बढ़ने से स्टार्टअप के तरक्की करने की संभावना में सुधार होता है. स्टार्टअप के जरिए 2018 में 40 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिला. जबकि 1.6 लाख से 1.7 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष तरीके से रोजगार मिला. स्टार्टअप के कामयाब होने का सीधा असर रोजगार सृजन पर पड़ेगा और कई लोगों को नौकरियां मिलने का रास्ता खुलता है.
स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते बजट पेश करते हुए ऐलान किया था कि स्टार्टअप को अब एंजल टैक्स नहीं देना होगा. इसके अलावा स्टार्ट-अप के लिए आयकर विभाग की जांच नहीं की जाएगी. साथ ही स्टार्टअप के लिए दूरदर्शन पर कार्यक्रम भी पेश किए जाएंगे. सरकार का एंजल टैक्स नहीं लिए जाने का फैसला सराहनीय है क्योंकि कई स्टार्टअप की ओर से शिकायत आई कि उन्हें एजेंल इनवेस्टर से निवेश जुटाने पर आयकर अधिनियम-1961 की धारा 56 (2) (8 बी) के तहत 30% कर चुकाने के लिए नोटिस मिले हैं.
सरकार की कोशिश स्टार्ट-अप को आगे तक ले जाने की है और इसके लिए कई तरह की छूट भी दी जा रही है. हालांकि इस बजट से स्टार्टअप कंपनियों के लिए कई और तरह की राहत को उम्मीदें थीं जो नहीं मिलीं. बावजूद इसके कुछ राज्यों में जहां स्टार्टअप बेहद कामयाब दिखता है, तो कई राज्यों में इसको लेकर सक्रियता की कमी दिख रही है. अगर 'स्टार्टअप इंडिया' अभियान सफल होता है, तो न सिर्फ निवेशकों को फायदा होगा बल्कि हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा.