यह इसी देश की घटना है जहां का संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी लेता है. बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन का लिखा एक टीवी सीरियल अब इसलिए टेलीकास्ट नहीं किया जाएगा क्योंकि कुछ धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध किया था.
सीरियल के प्रोड्यूसर्स ने विरोध के चलते इसे न प्रसारित करने का फैसला किया है. कुछ मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि सीरियल से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होंगी.
बताया जाता है कि खुद पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी प्रोड्यूसर्स से टेलीकास्ट टालने को कहा है. 'दुशाहोबाश' नाम का यह सीरियल 'आकाश आठ' चैनल पर आने वाला था. सीरयल के प्रोड्यूसर ने गुरुवार को फेसबुक पर लिखा, 'हालांकि चैनल 'दुशाहोबाश' का टेलीकास्ट करने को तैयार है लेकिन कुछ हद पार करने वाली वजहों से हमें टेलीकास्ट न करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. कृपया सहयोग करें और आगे की सूचनाओं के लिए इस पेज से जुड़े रहें.'
दिल्ली में रहने वालीं तसलीमा ने ट्विटर पर इस बात की पुष्टि की. उनके मुताबिक यह सीरियल महिलाओं के अधिकारों और मजबूत महिला किरदारों के बारे में है.
Unbelievable!WB Govt banned my upcoming megaserial abt women's rights bcz some Muslim fanatics objected.I feel like Im livng in Saudi Arabia
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 18, 2013
Internet Muslims r harassing me,showing solidarity towards W Bengal's anti-women anti-free speech fatwabaaz fanatics who banned my TV serial
— taslima nasreen (@taslimanasreen) December 18, 2013
कोलकाता की टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना नुरुर रहमान बरकती ने कहा कि 22 संगठनों ने सीरियल का विरोध किया है क्योंकि इसकी कहानी मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है.
हालांकि चैनल ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि सीरियल महिला सशक्तिकरण के बारे में है और इसका किसी धर्म या संप्रदाय से लेना-देना नहीं है.
कोलकाता के मुस्लिम संगठन मिलि इत्तेहाद परिषद के प्रतिनिधि शो के प्रोड्यूसर्स से मिले. इनका कहना था कि तसलीमा से सस्ती लोकप्रियता और ज्यादा टीआरपी देने वाला सीरियल लिखने को कहा गया था. 'दुशाहोबाश' का मतलब होता है मुश्किल सहवास.
गौरतलब है कि 1993 में तसलीमा के खिलाफ उनके नॉवेल 'लज्जा' की वजह से फतवा जारी किया गया था जिसके बाद उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था.