गोवा एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने वाले राज्यों में से हैं. ये राज्य अपने स्रोतों में विविधता लाने और अद्वितीय भौगोलिक दृष्टिकोण को भुनाने वालों में से है. ये बातें शनिवार को इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से आयोजित स्टेट ऑफ स्टेट कॉन्क्लेव- 2019 में आए एक पैनल ने कही.
इस पैनल में शिक्षाविद, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और न्यू मीडिया और एनिमेशन की दुनिया के जुड़े लोग शामिल थे. उन्होंने 'डेस्टिनेशन गोवा' सेशन में अपनी राय रखी, जिसमें गोवा को इंटरटेंमेंट, एजुकेशन और नॉलेज हब कैसे बनाने पर चर्चा हुई.
गोवा में निवेश की संभावनाओं पर सवाल उठाने के जवाब में पूर्व IAS और नेहरू ममोरियल संग्रहालय निदेशक शक्ति सिन्हा ने कहा कि गोवा दो बड़े राज्यों (महाराष्ट्र और कर्नाटक) के बीच स्थित है. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने और बाजार के एक जैसे होने के बाद अंतर-राज्यीय विविधताओं में कमी आई है.
मैन्युफैक्चरिंग हब नहीं बन सकता गोवा
शक्ति सिन्हा ने कहा, 'गोवा कभी भी मैन्युफैक्चरिंग हब नहीं बन सकता, क्योंकि यहां मैन्युफैक्चरिंग के लिए कोई जमीन नहीं है. गोवा बहुत हरा-भरा है. एक गांव में भी सड़क को चौड़ा करने के लिए आपको बहुत सारे पेड़ काटने पड़ेंगे.
उन्होंने कहा कि गोवा में बहुत संभावनाएं हैं. मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अन्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना ठीक है. ये गोवा की अनूठी संस्कृति और परिस्थिति के अनुकूल होगा. गोवा यूनिवर्सिटी के उप कुलपति वरुण साहनी ने कहा कि परंपरागत रूप से खनन और जहाज निर्माण गोवा की प्रमुख ताकत हुआ करते थे.
पर्यटन के साथ बदल रही हैं चीजें
वरुण साहनी ने कहा, 'अब पर्यटन के साथ चीजें बदल रही हैं. पर्यटन के अलावा आज सॉफ्टवेयर और डिजाइन कंपनियां भी गोवा आने में रुचि दिखा रही हैं. यह एक अच्छा संकेत है.' उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया और नेटफ्लिक्स के जमाने में गोवा अच्छा कर सकता है, अगर वह इन पहलुओं को भुनाने की कोशिश करे क्योंकि बड़े स्टूडियो के दिन अब लद चुके हैं.
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गोवा की अपनी क्वॉविटी है
एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स को लेकर फिक्की के चेयरमैन आशीष कुलकर्णी ने कहा कि उन्होंने गोवा में डिजाइन लैब स्थापित किए हैं. ऐसा वो दूसरे राज्यों में भी कर चुके हैं. कुलकर्णी ने कहा, 'मैंने जो देखा है कि दुनिया भर के टैलेंट पूल आज गोवा आना चाहते हैं. राज्य दो बड़े शहरों (मुंबई और बेंगलुरु) के बीच बसा हो सकता है, लेकिन गोवा में इसके निहित गुण हैं, जो लोगों को आकर्षित करते हैं.
गोवा छोटा है, इसलिए संभावनाएं ज्यादा हैं
गोवा के ग्रोथ को लेकर एसएस डेम्पो कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स की प्रिंसिपल राधिका एस नायक ने कहा, 'गोवा की ताकत ये है कि वो छोटा है. इसे छोटा होने के सभी लाभों का फायदा उठाने की जरूरत है. हमें अपने पूरे क्षेत्रों को विकसित करना है.' उदाहरण के लिए कोई ऐसा कारण नहीं है कि गोवा में अपना फिल्म शहर नहीं होना चाहिए. समुद्र तट वाले एरिया को विकसित करना चाहिए. चिकित्सा और पर्यटन पर फोकस करने से अच्छ रिस्पॉन्स आएगा.