छत्तीसगढ़ में माओवादियों के घातक हमले के संदर्भ में ‘कुछ गलती’ होने की बात स्वीकार करते हुए सरकार ने गुरुवार को इस घटना की जांच कराने का फैसला किया, जिसमें 76 लोगों की जान गई है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की सुरक्षा संबंधी समिति की बैठक के बाद गृह मंत्री पी चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हमने इस बात की जांच कराने का निर्णय किया है कि आखिर गलती कहां हुई ?’
दांतेवाड़ा घटना के बारे में सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि जांच की समय सीमा निर्धारित की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘मैंने बुधवार को जो कहा था, उस पर कायम हूं कि कुछ गलती हुई है. हमें इस गलती का पता लगाना है.’ उन्होंने हालांकि, कहा कि सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति की बैठक में इस नक्सली हिंसा की घटना पर चर्चा नहीं हुई. गृह मंत्री ने इन खबरों को गलत बताया कि हमले में ‘प्रेशर बमों’ का उपयोग हुआ या क्षेत्र में सीआरपीएफ के ऑपरेशन के बारे में स्थानीय पुलिस को जानकारी नहीं थी.
नक्सलियों द्वारा हमले में इस्तेमाल किए गए हथियारों के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा, ‘वे सीमा पार से हथियार खरीदते हैं. सीमा पार हथियारों के बाज़ार हैं. वे उन्हें चोरी-छिपे देश में लेकर आते हैं.’ उन्होंने इस संदर्भ में नेपाल, म्यांमा और बांग्लादेश के साथ भारत की खुली सीमाओं का उल्लेख किया. उन्होंने बताया कि हमले में 76 सीआरपीएफ कर्मियों को मारने के बाद माओवादी उनके सभी हथियार ले गए. हमले में मारे गए इन 76 सुरक्षा कर्मियों में एक ड्राइवर और एक राज्य पुलिस का हेड कांस्टेबल शामिल है.
उन्होंने कहा कि इसी तरह पूर्वोत्तर के विद्रोही सुरक्षा बलों से हथियार लूटते हैं, सीमा पार से विदेशी और देश के भीतर देसी हथियारों की खरीद भी करते हैं. नक्सलियों और विद्रोहियों के वित्तीय संसाधनों के बारे में उन्होंने कहा कि वे बैंक लूटते हैं और अपने क्षेत्रों की खनन कंपनियों से धन की उगाही करते हैं. गृह मंत्री ने हालांकि, प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी पर कुछ कहने से इनकार कर दिया जिसमें उन्होंने कहा है कि उग्रवादी हिंसा को कुचलने के लिए वायु सेना के इस्तेमाल के बारे में सरकार ने कोई निर्णय नहीं किया है.
इस बारे में उन्होंने इतना ही कहा, ‘मेरे विचार में अगर आवश्यक हो तो हम इस पर पुनर्विचार कर सकते हैं. अगर कुछ नीतिगत समीक्षा की जाती है तो आपको सूचित कर दिया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि नक्सल विरोधी कार्रवाई और उनके कब्जे वाले क्षेत्रों को मुक्त कराने के लिए केन्द्र, राज्य सरकारों को अर्धसैनिक बल उपलब्ध कराएगी.
उन्होंने कहा, लेकिन यह निर्णय करना राज्य सरकारों और कार्रवाई में लगे कमांडरों का काम है कि कार्रवाई जारी रखी जाए, या उसे और बढ़ाया जाए. चिदंबरम ने बताया कि अर्धसैनिक बलों ने बड़े पैमाने पर बारूदी सुरंग संरक्षित वाहनों (एमपीवी) के आर्डर दिए हैं. इनमें सीआरपीएफ ने ही ऐसे 280 वाहनों का आर्डर दिया है. उन्होंने कहा कि मंगलवार को नक्सली हमले में जो एमपीवी उड़ गया, वह केवल 15 से 20 किलोग्राम के विस्फोट से बचाव कर सकने की क्षमता वाला था.