सत्ता में आने के साथ ही रेलवे किराया 14 फीसदी बढ़ाने वाली मोदी सरकार एक बार फिर आपकी जेब ढीली कर सकती है. नकदी संकट से जूझ रहे रेलवे की सेहत सुधारने के लिए सरकार ने सख्त और अलोकप्रिय कदम उठाने के संकेत दिए हैं.
रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे की कायापलट के लिए कटिबद्ध हैं और ‘मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि यह जल्द होगा.’ उन्होंने इंडिया रेल समिट में कहा, ‘रेलवे के पुनर्गठन के लिए कुछ कठोर कदम उठाने होंगे. हालांकि कई लोग इसको पसंद नहीं करेंगे लेकिन हमें इसे करना पड़ेगा.’
रेल राज्य मंत्री ने हालांकि उन उपायों का खुलासा नहीं किया और कहा ‘जब कदम उठाए जाएंगे आप खुद इसे देखेंगे.’ यात्री क्षेत्र में रेलवे करीब 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा उठा रही है. फिलहाल इसकी भरपाई माल भाड़े से होने वाली आय से होती है. एनडीए सरकार सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और वित्त पोषण के वैकल्पिक स्रोत के जरिए और साथ ही आंतरिक संसाधनों को जुटाकर रेलवे की हालत को सुधारने की दिशा में दिख रही है.
सरकार ने रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन और कार्यकुशलता बढ़ाने के उपाय सुझाने के लिए हाल ही में प्रमुख अर्थशास्त्री बिबेक देबराय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है. उन्होंने कहा कि रेलवे के क्षेत्र में उतनी तेजी से बदलाव नहीं हुए जितनी तेजी से दूसरे क्षेत्रों में हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘हम काम में लगे हैं.’
रेल परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी की वकालत करते हुए मनोज सिन्हा ने कहा कि उद्योग अनुकूल होना गरीब विरोधी नहीं है. उद्योग के साथ आप जितनी चर्चा करेंगे यह रेलवे के लिए अच्छा है. उन्होंने कहा कि रेल परियोजनाओं में सौ फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत देने के लिए एनडीए सरकार ने नियमों में बदलाव किया है. सिन्हा ने कहा कि पिछले रेल बजट में हमने कोई लोकलुभावन कदम नहीं उठाने का सोचसमझ कर निर्णय किया था. फिलहाल रेलवे मौजूदा परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है. साथ ही हाई स्पीड रेल का स्वर्णचतुर्भुज नेटवर्क तैयार करने और देश के प्रमुख महानगरों एवं विकास केन्द्रों को जोड़ने की योजना पर ध्यान दे रहा है. उन्होंने कहा कि यात्रियों की संख्या और माल ढुलाई में बढ़ोतरी हुई है और इसमें और वृद्धि होगी.