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इकोनॉमी में तेजी के लिए कॉरपोरेट को फिर मिलेगा राहत पैकेज! लोन मोरेटोरियम भी बढ़ सकता है आगे

कोरोना संकट से जूझ रही इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए एक और राहत पैकेज दिया जा सकता है. इसको लेकर वित्त मंत्रालय के उच्चस्तरीय अधिकारियों में लगातार मंथन चल रहा है.

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कॉरपोरेट सेक्टर को फिर एक राहत पैकेज देने की तैयारी
कॉरपोरेट सेक्टर को फिर एक राहत पैकेज देने की तैयारी

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  • सरकार कॉरपोरेट सेक्टर को फिर राहत पैकेज देने की तैयारी कर रही
  • कोरोना संकट से बुरी तरह प्रभावित सेक्टर्स को उबारने की होगी कोशिश
  • लोन किश्त की मोरेटोरियम सुविधा को भी बढ़ाया जा सकता है

कोरोना संकट से जूझ रही इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए सरकार राहत पैकेज 2.0 लाने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा लोगों, कॉरपोरेट को लोन चुकाने के मामले में दी गई मोरेटोरियम यानी टालने की सुविधा को और आगे बढ़ाया जा सकता है. वित्त मंत्रालय के अधिकारी लगातार कॉरपोरेट जगत के शीर्ष लोगों के साथ बैठकें कर इस बारे में मंथन कर रहे हैं.

गौरतलब है कि सरकार कॉरपोरेट सेक्टर और देश की जनता को राहत देने के लिए पहले 20 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का पैकेज दे चुकी है. लेकिन कोराना संकट से टूरिज्म, हॉस्पिटलिटी, कंस्ट्रक्शन जैसे कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. सरकार अब इन सेक्टर को राहत देने तथा अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है.

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क्या है कॉरपोरेट सेक्टर की मांग

सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था की हालत सुधरी नहीं है और कॉरपोरेट जगत को लगता है कि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए सरकार को एक बार फिर से हस्तक्षेप करना चाहिए.

-वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अपनी बैठक में कॉरपोरेट दिग्गजों ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए एक अलग कोविड फंड बनाने की मांग की है.

-कॉरपोरेट दिग्गजों ने इस बात पर भी जोर दिया कि एफडीआई नियमों को और आसान बनाया जाए ताकि देश में ज्यादा से ज्यादा निवेश आए और अर्थव्यवस्था को तेजी मिले.

-कॉरपोरेट जगत की एक स्वर में यह मांग है ​कि बैंकों को अपना खजाना और खोलना होगा. कई कॉरपोरेट हाउस का यह मानना है कि सरकार की सहमति के बावजूद बैंक अपने खजाने को खोलने में कंजूसी दिखा रहे हैं, जिसकी वजह से कॉरपोरेट जगत के हाथ बंधे हुए हैं.

-कर्जों की रीस्ट्रक्चरिंग पर जोर. कॉरपोरेट जगत का दृढ़ता से यह मानना है कि कर्जों की रीस्ट्रक्चरिंग से ही वे अगले साल आने वाली मुश्किलों से निपट पाएंगे.

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कॉरपोरेट जगत ने अपनी मांगें वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक, दोनों को भेजी हैं. लेकिन वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि कोई भी प्लान ऐसे उचित मौके पर लाना होगा कि अर्थव्यवस्था के इंजन को गति मिल सके.

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क्या कहना है सरकार के वरिष्ठ लोगों का

राहत पैकेज 2.0 के बारे में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा, 'मैं फिर इस बात पर जोर दूंगा कि सरकारी खर्च के मामले में जो भी जरूरी होगा सरकार करने को तैयार है, लेकिन इसका समय क्या हो यह ज्यादा महत्वपूर्ण है. अब खबर आ रही है ​कि कोराना का टीका आने में बहुत देर नहीं है, एक बार टीका आ गया तो लोगों में बनी अनिश्चितता खत्म हो जाएगी. जब तक अनिश्चिततता है तब तक लोगों की जेब में पैसा होने के बावजूद वे उसे बैंक खातों में ही रखना पसंद करेंगे.'

रिजर्व बैंक की भूमिका

कॉरपोरेट दिग्गजों ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ अपने संवाद में भी इस बात पर जोर दिया कि किस तरह से बैंक किसी तरह का जोखिम लेने से बच रहे हैं. उन्होंने बताया कि बैंक तो पैसा निकालने को तैयार ही नहीं, क्योंकि उन्हें एनपीए बढ़ने का डर है.

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हालांकि एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने आरबीआई गवर्नर से संवाद में कहा कि मोरेटोरियम को 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि जो लोग किश्त चुकाने में सक्षम हैं, वे भी हालात का फायदा उठा रहे हैं.

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