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आतंक की कहानी, चश्‍मदीदों की जुबानी

मुंबई में हुए देश के अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले में कई बेगुनाह लोग आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए लेकिन कई ऐसे खुशकिस्मत भी थे जिन्हें एक नई जिंदगी मिली. आतंकी हमलों से संबंधित सभी वीडियो देखें

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देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में देश का अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले में कई बेगुनाह आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए लेकिन किस्मत के धनी कई ऐसे खुशकिस्मत भी थे जिन्हें एक नई जिंदगी मिली. पांच सितारा होटल ओबरॉय से कई ऐसे लोग बाहर निकले जिनकी नम आंखे, जिनके डरे-सहमे चेहरे और लड़खड़ाती जुबान सदमे की दास्तां बयां करने के लिए काफी हैं.

कोई आतंकवादियों के खौफ से बेजुबान है तो किसी को अपनो से मिलने की बेइंतहा खुशी है. ओबरॉय से बाहर निकल कर आयी एक महिला मधु कपूर ने बताया कि गोलियों और ग्रेनेड से आतंकवादी हमला बोल रहे थे और होटल के अंदर कैद लोगों की सांसे थमती जा रही थी.

ताज होटल के एक कमरे में करीब 24 घंटे तक कैद रहने के बाद बाहर आए घटना के एक गवाह ने बताया कि लोग बिलकुल दहशत में हैं लेकिन कुछ हिम्मती ऐसे भी हैं जिन्हें किसी भी पल मौत से डर नहीं लगा. कहते हैं कि जाको राखे सांइया मार सके ना कोय. आतंकवादियों के कब्जे से जो लोग सही सलामत बाहर निकले हैं वो यकीनन इसे अपनी एक नई जिंदगी मान रहे होंगे.

कुछ चश्‍मदीदों ने दहशत की दास्‍तान कुछ इस तरह सुनाई

वैभवी: होटल ताज में बंधक रही एक चश्‍मदीद वैभवी ने बताया वह लोग वहां खाना खाने के लिए गए हुए थे. खाने का ऑर्डर देने के बाद जब वो लोग खाना आने का इंतजार कर रहे थे तभी आतंकवादियों ने हमला कर दिया. उन्‍होंने बताया कि होटल में भगदड़ मच गई और लोग चीखने चिल्‍लाने लगे और सभी को बहुत डर लग रहा था. उन्‍होंने बताया कि 3-4 लोगों ने फायरिंग की थी. वैभवी ने होटल के कर्मचारियों की भी तारीफ की और कहा कि कर्मचारियों ने बहुत अच्‍छे तरीके से स्थिति को संभालने की कोशिश की.

मधु कपूर : दिल दहला देने वाला अनुभव था. हम लोग दोस्‍तों के साथ डिनर के लिए गए थे, हमने खाना खत्‍म ही किया था कि फायरिंग और धमाके की आवाज आई. हमें लगा कि आतंकवादी हमला हुआ है. हमें वहां से तुरंत निकलने के लिए कहा गया. वहां भगदड़ मच गई हमारे पीछे-पीछे एक आतंकवादी भी आ रहा था. मैं आगे निकल गई और मेरे दोस्‍त पीछे रह गए. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मैं एक स्‍पैनिश दंपत्ति के साथ एक कमरे में छुप गई. फिर वहां से आधे घंटे के बाद भाग निकली.

एक अन्‍य चश्‍मदीद ने बताया कि उन्‍हें एक बार भी डर नहीं लगा. जब थोड़ा घबरा गया तो जेब से हनुमान चालीसा निकाल कर पढ़ने लगा.

अमित गुप्‍ता: ओबरॉय होटल से छुड़ाए गए एक चश्‍मदीद अमित गुप्‍ता ने बताया कि वहां दो आतंकवादी थे. जिनमें से एक को एनएसजी ने सुबह 5.30 बजे मार गिराया. अमित ने बताया कि आतंकवादियों ने बंधकों के ऊपर भी फा‍यरिंग की जिसमें 9 से 10 लोग मारे गए.

साजन कपूर: होटल ताज से छुड़ाए गए बंधक साजन कपूर ने बताया कि आतंकवादी पंजाबी में बात कर रहे थे. उन्‍होंने बताया कि आतंकवादी आपस में बात कर रहे थे कि भारत के नेता के पास कितना पैसा है. उन्‍होंने बताया कि पैसे को लेकर आतंकवादियों में झगड़ा भी हुआ. उन्‍होंने बताया कि सभी कॉलेज के लड़के थे और पूरी तरह से प्रशिक्षित थे. उन्‍होंने यहां तक बताया कि कुल मिलाकर 17 आतंकवादियों को देखा जिनमें से कुछ खिलाडि़यों की तरह दिख रहे थे.{mospagebreak}
बुधवार को जिस समय हमले शुरु हुए, उस समय इंडिया टुडे के मुख्‍य फोटाग्राफर भास्‍कर पॉल भी घटनास्‍थल पर मौजूद थे. दहशत के पलों को उन्‍होंने किस तरह जिया, पेश है उसका ब्‍योरा:

आप कह सकते हैं कि मैं उन भाग्‍यशाली लोगों में हूं, जो हमले के वक्‍त घटनास्‍थल पर मौजूद थे. जब मैंने फायरिंग की बात सुनी, तो पहले मैंने इस ओर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं दिया. बाद में मैंने जाना कि जरूर कुछ गड़बड़ है. तब मैंने अपने कैमरे को तैयार किया. यह रात बहुत लंबी गुजरने वाली थी.

समझा जा रहा है कि आतंकी समुद्र के रास्‍ते मुं‍बई में दाखिल हुए. पहला धमाका कोलाबा मार्केट में एक पेट्रोल पंप के पास हुआ. यह इलाका बुधवार पार्क से बेहद करीब है, जहां से आतंकी पहली बार महानगर में आए. हमलावर कोलाबा मार्केट के ही एक सात मंजिले भवन में छिपे हुए थे.

ताज होटल से महिला को बचाया गया उस समय का दृश्‍य उल्‍लेखनीय है, जब रैपिड एक्‍शन फोर्स और एनएसजी के सुरक्षाकर्मी होटल ताज मेहमानों की सुरक्षा कर रहे थे और मेहमान सीढि़यों से बचाए जा रहे थे.

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