ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के कर्मचारियों की हड़ताल के बीच रक्षा मंत्रालय ने बयान दिया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के उत्पाद उच्च लागत के होते हैं. गुणवत्ता भी एक मुद्दा है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री को सार्वजनिक क्षेत्र की कॉर्पोरेट इकाई में बदलने से दक्षता में सुधार होगा.
रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि अगर पब्लिक सेक्टर का हस्तक्षेप ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों में होता है तो इससे फैक्ट्रियों की गुणवत्ता, निर्भरता और युद्ध के समय सेना की स्थिति सुधरेगी.
सेना के लिए गोला-बारूद तैयार करने वाले देश के 41 आयुध कारखाने (ऑर्डिनेंस फैक्ट्री) में काम करने वाले कर्मचारी मंगलवार से हड़ताल पर हैं. ये कारखाने सरकार की निजीकरण की कोशिशों का विरोध कर रहे हैं. इन आयुध कारखानों में लगभग 1 लाख 45 हजार कर्मचारी काम करते हैं.
Defence Ministry says the proposed transformation of Ordnance Factory Board (OFB) into a public sector corporate entity will improve efficiency, reduce import dependence and enhance combat efficiency of the armed forces. (2/2)
— ANI (@ANI) August 21, 2019
इस हड़ताल में आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ का घटक भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक मजदूर संगठनों की रणनीति एक महीने तक उत्पादन ठप करने की है.
भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एमपी सिंह ने आजतक डॉट इन को फोन पर बताया कि इस हड़ताल में लेफ्ट हो या राइट सभी धड़ों के मजदूर संगठन भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंगलवार से आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में उत्पादन थम गया है.
क्लास वन के अफसरों को छोड़कर कोई भी कर्मचारी मंगलवार से एक महीने तक कारखाने में नहीं घुसेगा. अगर बीच में सरकार बातचीत के जरिए मामला सुलझाती है तभी एक महीने की हड़ताल थम सकती है, नहीं तो संघर्ष जारी रहेगा.