scorecardresearch
 

सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ सख्त कानून की जरूरत : रहमान खान

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के. रहमान खान ने कहा है कि व्यवस्था में लोगों का विश्वास कायम रखने के लिए सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ सख्त कानून की जरूरत है और इस मुद्दे को वह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे.

Advertisement
X
के रहमान खान
के रहमान खान

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री के. रहमान खान ने कहा है कि व्यवस्था में लोगों का विश्वास कायम रखने के लिए सांप्रदायिक दंगों के खिलाफ सख्त कानून की जरूरत है और इस मुद्दे को वह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के समक्ष उठाएंगे.

Advertisement

रहमान खान ने कहा, ‘सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ कानून बनाना मेरे मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र की बाहर की बात है, लेकिन यह मामला अल्पसंख्यकों से जुड़ा है जिस कारण हमारी भूमिका इसमें है. दंगों को रोकने के लिए कड़े कानून की जरूरत है. इससे व्यवस्था में लोगों का विश्वास कायम रहेगा.’

सांप्रदायिक एवं सुनियोजित हिंसा रोकथाम विधेयक 2011 की पैरवी करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक महत्वपूर्ण है और सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए इसे लाया जाना जरूरी है. विधेयक को लेकर कई लोगों ने एतराज किया और इसे स्थायी समिति के पास भेज दिया गया, जहां यह विधेयक ‘हल्का’ (डायल्यूट) हो गया. कोशिश होनी चाहिए कि दंगों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए.’

उन्होंने कहा, ‘आप जानते हैं कि यह विधेयक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने तैयार किया था और कांग्रेस इस मामले पर गंभीर है. मैं इस मामले (सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक) को प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के समक्ष उठाउंगा.’

Advertisement

सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की ओर से इस विधेयक को तैयार किया गया था. विधेयक को लेकर कई दलों और संगठनों ने कड़ा विरोध जताया.

भाजपा ने इसे ‘बहुसंख्यक विरोधी’ करार दिया था. उसका कहना था कि विधेयक में हिंसा के लिए सिर्फ बहुसंख्यक समुदाय को जवाबदेह ठहराने का प्रावधान है, जो बिल्कुल उचित नहीं है. हाल के महीनों में उत्तर प्रदेश के कई स्थानों, राजस्थान और महाराष्ट्र में सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर कई मुस्लिम संगठन ऐसी हिंसा रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग निरंतर करते रहे हैं.

रहमान खान ने कहा, ‘किसी भी दंगे को रोकना कानून-व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में इन एजेंसियों को जवाबदेह बनाना जरूरी है. जब तब इन्हें जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा तब तक कानून एवं प्रशासनिक व्यवस्था पर लोगों को विश्वास मजबूत नहीं होगा.’

उन्होंने कहा, ‘दंगों में लोग मारे जाते हैं और दूसरे तरह के नुकसान भी होते हैं, लेकिन मौजूदा समय में कानून-व्यवस्था संभालने वाली एजेंसियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. हम चाहते हैं कि ऐसा कानून बने जिसमें इनकी जवाबदेही तय हो.’

Advertisement
Advertisement