भारत के चुनाव आयुक्त ओपी रावत द्वारा राजनीतिक पार्टियों के बारे में चुनाव जीतने के तौर-तरीके को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर राजनीतिक पार्टियों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. रावत ने एक समारोह में कहा था कि आज देश में हालात ऐसे हो गए हैं कि पार्टियां किसी भी कीमत पर कुछ भी करके चुनाव जीतना चाहती हैं, जोकि एक चिंता का विषय है. उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र को फलने-फूलने के लिए जरूरी है कि चुनाव साफ-सुथरे तरीके से और पारदर्शी हों, लेकिन आज जो हालात पैदा हो गए हैं, उसे देखकर ऐसा लगता है कि चुनाव में जीत ही सब कुछ हो गई है.
इस मसले पर चुनाव आयुक्त की टिप्पणी इसलिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि करीब 10 दिन पहले गुजरात में राज्यसभा चुनाव को लेकर खरीद-फरोख्त और दबाव डालने के तमाम आरोप लगे थे. कांग्रेस पार्टी की शिकायत पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दो विधायकों का वोट भी रद्द कर दिया था. चुनाव आयोग के इस बयान के बारे में जब जनता दल यूनाइटेड के नेता शरद यादव से पूछा गया, तो उन्होंने कहा की चुनाव आयुक्त ने जो कहा उससे वह पूरी तरह सहमत है, लेकिन चुनाव आयोग को हर पार्टी को एक ही तराजू पर नहीं तौलना चाहिए. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी रावत की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी.
शरद यादव ने कहा कि चुनाव आयोग को चाहिए था कि वह उन पार्टियों का नाम उजागर करे, जो सबसे ज्यादा चंदे के रूप में पैसा पा रही है. सभी पार्टियों को इसमें नहीं घसीटे. उन्होंने कहा कि वह जेडीयू के अध्यक्ष रह चुके हैं और इस नाते कह सकते हैं कि बहुत ही छोटी पार्टियां ऐसी हैं, जो बहुत मुश्किल से चुनाव लड़ पाती हैं. इसकी वजह यह है कि राजनीति में पूरी तरह से धनबल हावी हो चुका है.
खास बात यह है कि जनता दल यूनाइटेड में नीतीश कुमार से अलग हो जाने के बाद शरद यादव और उनके समर्थक पार्टी का चुनाव चिन्ह पाने के लिए चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाने के मूड में हैं. शनिवार को पटना में एक तरफ नीतीश कुमार ने जेडीयू की बैठक बुलाई है, जिसमें एनडीए में जाने का औपचारिक ऐलान किया जाएगा, तो दूसरी तरफ पटना में ही शरद यादव ने भी अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है. शुक्रवार को शरद यादव के समर्थक और राज्यसभा में सांसद अली अनवर ने कहा कि अपने समर्थकों को शरद यादव बताएंगे कि बीजेपी के साथ जाना किस तरह से गलत था?
अली अनवर ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी, तो जेडीयू के चुनाव चिन्ह तीर को हासिल करने के लिए वे चुनाव आयोग का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं. शरद यादव के समर्थकों का कहना है कि जेडीयू के संस्थापक अध्यक्ष शरद यादव ही थे और नीतीश कुमार ने बाद में अपनी समता पार्टी का उसमें विलय कराया था. इसीलिए असली जेडीयू वही है, जिसमें शरद यादव हैं. लेकिन शरद यादव और उनके समर्थकों के तमाम दावों के बाद सच्चाई यह है कि जेडीयू के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता नीतीश कुमार के साथ दिखते हैं.
बीजेपी के साथ जाने के फैसले से नाराज होकर शरद यादव ने पिछले दिनों जब बिहार में अपनी यात्रा निकाली थी, तो जेडीयू के बिहार के 71 विधायकों में से कोई भी उनके साथ नहीं आया.