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जंगल की जंगः 9 बाघ, 21 हाथी समेत 36 जानवरों की मौत के पीछे भूख, वर्चस्व और सेक्स

कार्बेट टाइगर रिजर्व में पिछले पांच साल में हुई हाथियों, बाघों और तेंदुओं की मौत के कारणों की तह तक जाने के लिए जब अध्ययन किया गया तो चौंकाने वाली बात सामने आई है.

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सांकेतिक तस्वीर.
सांकेतिक तस्वीर.

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कभी भूख मिटाने के लिए बाघों ने हाथी मार डाले तो कभी क्षेत्रीय वर्चस्व और मैथुन (Mating) के लिए नर-मादा हाथियों और नर-मादा बाघों में संघर्ष हुए. देश के मशहूर कार्बेट टाइगर रिजर्व में 36 जानवरों की मौत को लेकर एक रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है. इस टाइगर रिजर्व में पिछले पांच साल में हाथी, बाघ, गुलदार आदि जानवरों की मौत के कारणों की तह तक जाने के लिए जब अध्ययन किया गया तो चौंकाने वाली बातें सामने आई.

यह रिपोर्ट टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर और चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने तैयार की. उन्होंने आज तक डॉट इन से बातचीत में कहा कि मामला बेहद चौंकाने वाला है. अब तक बाघों की ओर से हाथियों को भोजन के लिए मारने की घटनाएं नहीं सामने आतीं थीं. मगर अब बाघ आहार के लिए हाथियों को मार रहे हैं. वजह कि हिरन, सांभर, चीतल जैसे जानवरों को मारने में बाघों को लंबी रेस लगानी पड़ती है और ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है. मगर, हाथियों को मारने में लंबी भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ती और खाने के लिए अधिक मांस भी मिल जाता है.

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जानवरों की मौत की केस स्टडी

30 नवंबर 2017 को कार्बट टाइगर रिजर्व के राम नगर प्रभाग में एक मादा बाघ की मौत हुई थी. मौत एक बाघ से ही लड़ाई में हुई. इसके पीछे मैथुन (सेक्स) को लेकर संघर्ष की बात सामने आई. इसी तरह हाल में तीन मई 2019 को भी दो बाघों की लड़ाई में एक नर बाघ की मौत हुई. 27 मई 2019 को भी बाघों के बीच संघर्ष में एक बाघ को जान गंवानी पड़ी. इसी तरह सात फरवरी 2018 को बाघ के के साथ संघर्ष में एक हाथी की मौत हुई. नौ जनवरी 2018 को भी बाघ के हमले में एक हाथी मारा गया. 10 नवंबर 2018 को भी बाघ से संघर्ष में हाथी की मौत हुई. 26 जनवरी 2019 को वन क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट में बाघ के हमले में हाथी के मारे जाने की पुष्टि हुई. छह तेंदुए की भी पिछले पांच साल में मौत हुई, जिसमें आपसी संघर्ष और दूसरे जानवरों के हमले में मौत हुई. रिपोर्ट में कुल नौ बाघ, 21 हाथी और छह गुलदार के मरने के पीछे की वजहें को सामने लाया गया है.

जब जंगली सुअर ने बाघ के बच्चे को मारा

11 जनवरी 2018 को कार्बेट टाइगर रिजर्व में एक और चौंकाने वाली घटना हुई. जब जंगली सुअर ने बाघ के बच्चे पर हमला कर मार डाला. यह घटना कालागढ़ टाइगर रिजर्व प्रभाग, लैंसडौन में हुई. संजीव चतुर्वेदी की ओर से यह अध्ययन 27 मई 2019 को कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संघर्ष में मौत की घटना के बाद शुरू किया गया. उन्होंने एक अप्रैल 2014 से लेकर 31 मई 2019 के बीच पांच वर्ष में मरे जानवरों के आंकड़े और उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया, तब ये निष्कर्ष सामने आए. उन्होंने टाइगर, तेंदुआ और हाथी की मौत को अपने अध्ययन में शामिल किया. रिपोर्ट तैयार करने में फील्ड स्टाफ और अन्य पुरानी रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की मदद ली.

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क्या कहा गया है रिपोर्ट में

कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक संजीव चतुर्वेदी की जंगली जंग में जानवरों की मौत को लेकर यह चौंकाने वाली रिपोर्ट है. उन्होंने आज तक डॉट इन से बातचीत में कहा कि भूख मिटाने के लिए बाघों की ओर से हाथियों के शिकार का नया ट्रेंड शुरू हुआ है. उन्होंने बताया कि कुल 21 में से  60 प्रतिशत हाथियों की मौत बाघों के हमले में हुई. मरने वालों में ज्यादातर हाथियों के बच्चे रहे. वहीं आपसी संघर्ष में भी भी हाथियों की मौत हुई. जिसके पीछे मादा हाथियों से मैथुन की कोशिश के कारण संघर्ष की बात सामने आई. इसी तरह बाघों में भी मैथुन को लेकर आपसी संघर्ष हुए. नौ में से सात टाइगर खुद आपस में लड़कर मरे. ये मौतें क्षेत्रीय वर्चस्व और मैथुन को लेकर छिड़ी लड़ाई की वजह से हुईं. उन्होंने रिपोर्ट में हाल में एक मादा बाघ से डोमिनेंट मेल टाइगर ने जबरन मैथुन की कोशिश का भी जिक्र किया है, जिससे मादा बाघ गंभीर रूप से घायल हो गई थी. संजीव चतुर्वेदी ने इस रिपोर्ट में जानवरों की मौत को लेकर और बड़े पैमाने पर अध्ययन की जरूरत बताई है.

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