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ट्रंप की मान्यता के बाद स्वामी की मांग, भारत भी येरूशलम में बनाए दूतावास

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस ऐलान के बाद अमेरिकी अधिकारियों को दूतावास को तेल अवीव से शिफ्ट कर येरूशलम लाने के आदेश जारी कर दिए हैं. इजरायल के राष्ट्रपति नेतन्याहू ने अमेरिका के इस फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है.

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सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल)
सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल)

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने येरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी है. अमेरिका के इस फैसले के बाद दुनियाभर से अलग-अलग देशों की कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. ट्रंप ने ऐलान करते हुए कहा कि पिछले राष्ट्रपतियों ने सिर्फ इस मुद्दे पर वायदा किया और कैंपेन किया, मैं इस वादे को पूरा कर रहा हूं.  

दुनिया में कई देश इसका विरोध कर रहे हैं तो बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की है, कि भारत को भी अपने दूतावास को अब येरूशलम में शिफ्ट करनी चाहिए. आपको बता दें कि अभी भारत का दूतावास तेल अवीव में है.

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस ऐलान के बाद अमेरिकी अधिकारियों को दूतावास को तेल अवीव से शिफ्ट कर येरूशलम लाने के आदेश जारी कर दिए हैं. इजरायल के राष्ट्रपति नेतन्याहू ने अमेरिका के इस फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है.

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आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान के बाद कई जगह धरना प्रदर्शन शुरू हो गए थे. फिलीस्तीन इस्लामिस्ट ग्रुप हमस ग्रुप ने अमेरिका के इस फैसले का इजरायल में विरोध किया. दूसरी तरफ अल-कायदा और ISIS ने इस फैसले के बाद अमेरिका पर हमले की धमकी दी है.

इस्राइल-फिलिस्तीनः येरूशलम पर दोनों देश करते हैं दावा

इस्राइल-फिलिस्तीन विवाद में येरुशलम का दर्जा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस्राइल और फिलिस्तीन दोनों इसे अपनी राजधानी बताते हैं. ट्रंप इस फैसले पर विचार कर ही रहे थे उसी दौरान पश्चिम एशिया समेत दुनियाभर के नेताओं ने दशकों पुरानी अमेरिकी नीति से विचलन को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी.

इस्राइल के रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमान ने ट्रंप से कहा था कि वह इस ऐतिहासिक अवसर को हाथों से जाने ना दें. तुर्की के उप प्रधानमंत्री बेकिर बोजदाग ने कहा था कि अगर येरुशलम का दर्जा बदला जाता है और एक और कदम इस दिशा में उठाया जाता है तो यह बड़ी तबाही होगी. इससे क्षेत्र में संवदेनशील शांति प्रक्रिया पूरी तरह नष्ट हो जाएगी और नया विवाद, नए संघर्ष बढ़ेंगे और नए सिरे से अशांति फैल जाएगी.

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