अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने येरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता दे दी है. अमेरिका के इस फैसले के बाद दुनियाभर से अलग-अलग देशों की कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. ट्रंप ने ऐलान करते हुए कहा कि पिछले राष्ट्रपतियों ने सिर्फ इस मुद्दे पर वायदा किया और कैंपेन किया, मैं इस वादे को पूरा कर रहा हूं.
दुनिया में कई देश इसका विरोध कर रहे हैं तो बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की है, कि भारत को भी अपने दूतावास को अब येरूशलम में शिफ्ट करनी चाहिए. आपको बता दें कि अभी भारत का दूतावास तेल अवीव में है.
Israel has international recognition of a part of Jerusalem as its territory, hence India should shift its Embassy to this part of the city
— Subramanian Swamy (@Swamy39) December 6, 2017
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस ऐलान के बाद अमेरिकी अधिकारियों को दूतावास को तेल अवीव से शिफ्ट कर येरूशलम लाने के आदेश जारी कर दिए हैं. इजरायल के राष्ट्रपति नेतन्याहू ने अमेरिका के इस फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है.
.@IsraeliPM tells @POTUS: "Thank you for today's historic decision to recognize Jerusalem as Israel's capital.
The Jewish people and the Jewish state will be forever grateful." pic.twitter.com/LgXbSaBfnf
— Israel Foreign Min. (@IsraelMFA) December 6, 2017
आपको बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान के बाद कई जगह धरना प्रदर्शन शुरू हो गए थे. फिलीस्तीन इस्लामिस्ट ग्रुप हमस ग्रुप ने अमेरिका के इस फैसले का इजरायल में विरोध किया. दूसरी तरफ अल-कायदा और ISIS ने इस फैसले के बाद अमेरिका पर हमले की धमकी दी है.
इस्राइल-फिलिस्तीनः येरूशलम पर दोनों देश करते हैं दावा
इस्राइल-फिलिस्तीन विवाद में येरुशलम का दर्जा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इस्राइल और फिलिस्तीन दोनों इसे अपनी राजधानी बताते हैं. ट्रंप इस फैसले पर विचार कर ही रहे थे उसी दौरान पश्चिम एशिया समेत दुनियाभर के नेताओं ने दशकों पुरानी अमेरिकी नीति से विचलन को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी.
इस्राइल के रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमान ने ट्रंप से कहा था कि वह इस ऐतिहासिक अवसर को हाथों से जाने ना दें. तुर्की के उप प्रधानमंत्री बेकिर बोजदाग ने कहा था कि अगर येरुशलम का दर्जा बदला जाता है और एक और कदम इस दिशा में उठाया जाता है तो यह बड़ी तबाही होगी. इससे क्षेत्र में संवदेनशील शांति प्रक्रिया पूरी तरह नष्ट हो जाएगी और नया विवाद, नए संघर्ष बढ़ेंगे और नए सिरे से अशांति फैल जाएगी.