scorecardresearch
 

सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- राम मंदिर के लिए जमीन दे सकती है सरकार, कानूनी रोक नहीं

स्वामी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा और कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सरकार अगर 67.72 एकड़ जमीन देना चाहे तो इसमें कोई कानूनी अड़चन सामने नहीं आएगी.

Advertisement
X
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल फोटो)
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (फाइल फोटो)

Advertisement

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कराने और रामेश्वरम स्थित राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग की है. स्वामी इन दोनों मांगों को काफी पहले से उठाते रहे हैं. अब मोदी सरकार 2.0 बनने के बाद उन्होंने इन मांगों को और तेज कर दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में स्वामी ने कहा, 'राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर स्मारक घोषित किया जाना चाहिए. इस सरकार को संविधान से जो शक्तियां मिली हैं, उसकी मदद से वह सार्वजनिक काम के लिए सुप्रीम कोर्ट की इजाजत लिए बिना भी अयोध्या की जमीन (इसमें विवादित जमीन भी शामिल है) आबंटित कर सकती है.'  अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सरकार अगर 67.72 एकड़ जमीन देना चाहे तो कोई कानूनी अड़चन सामने नहीं आएगी.

Advertisement

पूर्व में स्वामी कह चुके हैं कि श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने माना है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर बनने से श्रीलंका में पर्यटन बढ़ने की संभावना रहेगी. श्रीलंका की सरकार रावण के महल, अशोक वाटिका को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की संभावना पर विचार कर रही है. पिछले वर्ष स्वामी ने कहा था, "सब संपत्ति के लिए लड़ रहे हैं. मैं अपनी आस्था के लिए लड़ रहा हूं. मैं अनुच्छेद 25 के तहत अपने मूलभूत अधिकारों के लिए लड़ रहा हूं लेकिन कांग्रेस हमारी तारीख ही लगने नहीं देती है. हमारे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर सदा मंदिर ही रहता है. रामजन्मभूमि पर सरकार कानून भी बना सकती है."

अभी हाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने राजस्थान के उदयपुर में कहा था, "राम का काम करना है, राम का काम होकर रहेगा." उन्होंने कहा था कि राम हमारे हृदय में बसते हैं और हमें सक्रिय होने और अपने लक्ष्य को हकीकत में बदलने के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है. भागवत के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आई और कई मौलानाओं ने कहा कि मामला जब सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए इस पर बयान देना सही नहीं है.  

Advertisement
Advertisement