गृह मंत्री अमित शाह की ओर से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सोमवार को राज्यसभा में दिए भाषण का बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी भी मुरीद हो गए. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि लंबे अरसे के बाद लगा कि कोई बीजेपी का मंत्री एक बीजेपी नेता की तरह बोल रहा है. इससे पहले अमित शाह के भाषण की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी तारीफ की थी. उन्होंने ट्विटर पर अमित शाह के भाषण का वीडियो शेयर करते हुए कहा था कि जो लोग कश्मीर मुद्दे को स्पष्ट समझना चाहते हैं उन्हें यह भाषण सुनना चाहिए.
सुब्रमण्यम स्वामी ने मंगलवार को किए ट्वीट में लिखा, 'राज्यसभा में कल अमित शाह के भाषण की रिकॉर्डिंग सुननी चाहिए. यह तथ्यात्मक रूप से शानदार बहस थी. लंबे समय के बाद मैंने भाजपा के एक मंत्री को भाजपा नेता की तरह बोलते हुए सुना.'
क्या कहा था अमित शाह नेPTs should hear a recording of Amit Shah speech made yesterday in RS. It was factual superb debating skill and after a long time I heard a BJP Minister speak like a BJP leader and not wushu washy
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 2, 2019
जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर राज्यसभा में सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष पर जमकर बरसे. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या सूफी परंपरा कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थी. सूफी परंपरा का सबसे बड़ा गढ़ कश्मीर था, फिर सूफी संतों को क्यों भगाया गया. उन्हें क्यों चुन-चुनकर मारा गया. कश्मीरियत और हिंदू-मुस्लिम एकता की बात तो सूफी संत ही करते थे. आज कश्मीरी पंडित अपने ही देश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. अमित शाह ने पूछा कि क्या जम्हूरियत की बात करने वालों ने कभी कश्मीरी पंडितों और सूफी संतों की बात की?
अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पंच-सरपंचों के चुनाव क्यों नहीं हुए. क्या उन्हें अपने गांव के विकास का हक नहीं है. क्यों, जिला पंचायतों का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए. नरेंद्र मोदी सरकार ने गांव-गांव तक जम्हूरियत को पहुंचाने का काम किया.अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. कम से कम इस बात पर सदन एकमत है. उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और कोई इसे देश से अलग नहीं कर सकता.
अमित शाह ने दावा करते हुए कहा कि कश्मीर की आवाम को संरक्षण हम ही देंगे. मैं निराशावादी नहीं हूं. एक दिन जम्मू-कश्मीर के मंदिरों में कश्मीरी पंडित पूजा करते दिखाई देंगे और सूफी संत भी. राष्ट्रपति शासन के तहत जम्मू-कश्मीर में स्कूल चालू कराए गए. अलगाववादी बच्चों को विदेश में पढ़ाते थे और यहां स्कूल बंद करवाते थे. इससे पहले बाबू कश्मीर के गांव में नहीं जाते थे. अब एक भी गांव ऐसा नहीं है, जहां योजनाओं को नीचे पहुंचाने का काम नहीं हुआ है.
For latest update on mobile SMS