अपनी खूनी जंग में नक्सली अक्सर बंदूक के जोर पर भोले-भाले ग्रामीणों का इस्तेमाल ढाल की तरह करते रहे हैं. लेकिन बुर्कापाल में 25 जवानों को शहीद करने के लिए इस बार स्थानीय लोगों से रेकी करवाई गई थी.
गांववालों ने रखी जवानों पर नजर
सीआरपीएफ के मुताबिक नक्सलियों को जवानों की लोकेशन और मूवमेंट की जानकारी गांववालों ने दी थी. इस बात के पक्के सबूत मिल रहे हैं कि नक्सली हमले की तैयारी पिछले कई दिनों से कर रहे थे और ग्रामीणों का इस्तेमाल एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था. करीब दर्जन भर ग्रामीणों को चरवाहे के वेश में और पत्ते बीनने के बहाने उसी निर्माणाधीन सड़क पर तैनात किया गया था जिसकी कॉम्बिंग ये जवान कर रहे थे. ये ग्रामीण वॉकी-टॉकी के जरिये जवानों की पल-पल की खबर नक्सलियों तक पहुंचा रहे थे. यही वजह है कि नक्सलियों ने हमले के लिए वो वक्त चुना जब जवान भोजन कर रहे थे.
महिला, बच्चे भी थे शामिल
खबरों के मुताबिक हमले में बड़ी तादाद में महिला नक्सली भी शामिल थीं. घायल जवानों ने बताया है कि काली वर्दी में ये महिला नक्सली एके-47 जैसे स्वचलित हथियारों से लैस थीं. हमले के दौरान नक्सली गोंडी भाषा में बात करते सुने गए. घटना के बाद हथियार लूटने के लिए भी ग्रामीणों की मदद ली गई. आरोप लगाया जा रहा है कि इसमें बच्चे भी शामिल थे.