स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से बहुत पहले एक शख्स ने सफाई को लेकर बेहतरीन पहल की थी. उस शख्स यानी सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिन्देश्वर पाठक को बुधवार को ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट एवार्ड’ से सम्मानित किया गया.
उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त)एन के मेहरोत्रा ने लखनऊ पुस्तक मेले में पाठक को ‘शान ए लखनऊ’ पुरस्कार दिया. सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार, सामाजिक विकास तथा मानवाधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान कर रहे पाठक ने ‘स्वच्छता’ को ‘सुलभ’ के रूप में नई पहचान दी और इसके लिए वह दुनिया भर में जाने जाते हैं.
'मानवाधिकार के समर्पण को मान्यता'
पाठक ने कहा कि यह सम्मान स्वच्छता और मानवाधिकारों के प्रति उनके समर्पण को मान्यता है. इससे मानवता की सेवा करने के लिए कडे परिश्रम की ऊर्जा मिलती है. पाठक ने 2019 तक संपूर्ण स्वच्छता सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए व्यापक जन आंदोलन की आवश्यकता पर जोर दिया.
याद रहे कि सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक के रूप में पाठक ने भारत में ‘शौचालय क्रान्ति’ ला दी. इसके लिए स्वदेश में विकसित, सस्ती और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल शौचालय प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया.
-इनपुट भाषा