इस बार लोकसभा में नेता विपक्ष का पद कांग्रेस के हाथ नहीं आएगा. स्पीकर सुमित्रा महाजन ने नियमों का हवाला देते हुए नेता विपक्ष से जुड़ी कांग्रेस की मांग को नामंजूर कर दिया.
स्पीकर ने अपने फैसले के बारे में कहा, 'मैंने नियमों और परंपराओं का अध्ययन किया है.' यह फैसला करने से पहले स्पीकर ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की राय भी ली. रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस के पास सदन में जरूरी संख्या नहीं है जिससे उसे नेता विपक्ष का दर्जा दिया जा सके. स्पीकर के इस फैसले के बारे में कांग्रेस को पत्र लिख कर बता दिया गया है.
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाजन को पत्र लिख कर लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को नेता विपक्ष का दर्जा देने का अनुरोध किया था.
नियमों का हवाला
स्पीकर ने नियम 121 का हवाला देते हुए कांग्रेस से कहा है कि वह इस स्थिति में नहीं हैं कि सदन में पार्टी के नेता को नेता विपक्ष का दर्जा दे सकें. यह दर्जा पाने के लिए 543 सदस्यीय लोकसभा में किसी दल के पास इस संख्या का कम से कम से 10 प्रतिशत यानी 55 सीट होना जरूरी है.
समझा जाता है कि अपने इस फैसले के संदर्भ में सुमित्रा महाजन ने 1980 और 1984 के उदाहरणों का भी हवाला दिया जब लोकसभा में किसी विपक्षी दल के पास यह संख्या नहीं होने के कारण किसी को नेता विपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया था.
गौरतलब है कि मौजूदा लोकसभा में कांग्रेस 44 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. 282 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है.
लीगल सेल से राय लेंगे खड़गे
खड़गे ने स्पीकर के फैसले पर कहा कि वह इस बारे में कुछ कहने से पहले कांग्रेस आलाकमान और पार्टी के लीगल सेल की राय लेंगे. उन्होंने कहा, 'मान्यता प्राप्त नेता विपक्ष होना एक बात है और फ्लोर लीडर के रूप में काम करना दूसरी बात.'