पाकिस्तान में बम धमाके के गलत आरोप में फांसी की सजा का सामना कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की सजा माफ किये जाने के बाद सिंह की बेटी का कहना है कि भगवान की कृपा और मीडिया और दोनों मुल्कों के लोगों तथा सरकारों के सार्थक प्रयास का ही यह नतीजा है कि उसके पिता अब घर आ रहे हैं और उस काली रात के बाद उनके घर में आज सूर्योदय हुआ है.
इस खबर से सरबजीत के गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है. सभी के चेहरों पर मुस्कान है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी द्वारा आज सरबजीत सिंह की मौत की सजा को माफ किये जाने के घोषणा के बाद सरबजीत की बेटी स्वपनदीप ने कहा, ‘हम सब खुश हैं. मेरे पास शब्द नहीं है. हम बुआजी (दलवीर कौर, सरबजीत की बहन) के साथ बुधवार को जालंधर से अमृतसर के लिए रवाना होंगी.’
स्वपनदीप ने कहा, ‘पिछले बीस साल में यह पहला मौका है जब हम सब भगवान की कृपा से एक साथ खुशियां मना रहे हैं. पापा के वकील ओवैस शेख ने सबसे पहले बुआजी को बताया. इसके बाद बुआजी ने मुझे फोन किया और फिर मैने तत्काल अपनी मां को इसकी सूचना दी. मां को सबसे पहले मैने ही सूचना दी.’
उन्होंने भर्राये गले से कहा, ‘मां को जब से जानकारी मिली है, भगवन के तस्वीर के सामाने बैठी है. वह बोल ही नहीं पा रही हैं. इस दिन के लिए हमने काफी लंबा इंतजार किया है. न केवल उनके लिए बल्कि हम सबके लिए उस काली रात के बाद सही मायने में आज सूर्योदय हुआ है.’
स्वप्न ने कहा, ‘पिछले बीस साल में पापा से मेरी सिर्फ एक बार मुलाकात हुई है. आज रात को मैं सो पाउंगी या नहीं मुझे नहीं पता. अब उनके आने का इंतजार है. यह इंतजार अब और नहीं हो सकता. मैं तो चाहती हूं कि कल की बजाए वह जल्दी से जल्दी अभी आ जायें.’
सरबजीत की बेटी ने कहा, ‘मैने मां से कहा कि वह जालंधर आ जाए . इस पर मां ने कहा कि हम सब मिल कर उनको लेने तो अमृतसर ही जाएंगे. इसलिए तुम यहां आ जाओ. फिर सब साथ में चलेंगे और तुम्हारे पापा को लेकर घर आएंगे.’ उन्होंने भावुक होते हुए रुक रुक कर कहा, ‘मैं केवल ढाई साल की थी जब पापा उस रात को गलती से पाकिस्तान की ओर चले गए थे. उस समय मेरी बहन केवल 23 दिन की थी. उस काली रात के बारे में जितना सुना है उसे मैं ताउम्र कभी नहीं भूल सकती.’
स्वप्नदीप ने बताया, ‘‘रात को वह अन्य लोगों के साथ खेत पर गए थे. उन्होंने उस रात थोडी शराब पी ली थी. जब रात अधिक हो गयी तो उन्हें लोगों ने घर जाने के लिए कहा. वह उठे और जिधर उनका मुंह था उधर ही चलने लगे और नशे में सीमा पार कर गए क्योंकि तीन चार किलोमीटर की दूरी पर ही पाक से लगती सीमा स्थित है.’
उन्होंने बताया कि इस बीच पाक पुलिस ने उन्हें पकड लिया और मनजीत सिंह बता कर जेल में बंद कर दिया और वहां की अदालत ने भी उन्हें मनजीत मान कर फांसी की सजा दे दी थी.
इसके साथ ही स्वपनदीप ने कहा, ‘इसके लिए सभी भारतवासी को मैं बधाई देती हूं.’ नम आंखों को पोंछती हुई सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कहा, ‘मेरे लिए पाकिस्तान से बहुत सुखद खबर है. उसने भारतीयों के लिए काफी कुछ किया है और भारत के सभी लोग पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के इस दया भाव को हमेशा याद रखेंगे.’
सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत ने कहा, ‘...मेरे लिए यह पुनर्जन्म के समान है क्योंकि मेरी दोनों बेटियों के पिता पाकिस्तान के जेल से वापस आने वाले हैं, एक ऐसी जगह से जहां से उनकी वापसी की उम्मीद नहीं थी.’ उल्लेखनीय है कि बम विस्फोट के आरोपों में पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उनकी मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया है.
जरदारी ने सरबजीत की मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी, जिसे वह पहले ही पूरी कर चुके हैं क्योंकि वह 14 साल से अधिक वक्त जेल में बिता चुके हैं इसलिए उन्हें रिहा किया जा रहा है.
49 वर्षीय सरबजीत को 1990 में पंजाब में कई बम विस्फोटों में कथित तौर पर शामिल रहने के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी. उन बम विस्फोटों में 14 लोग मारे गए थे. सरबजीत ने खुद को निर्दोष बताया था और कहा था कि यह ‘गलत पहचान’ का मामला है.
आधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि जरदारी ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अगर सरबजीत ने अपनी कारावास की सजा पूरी कर ली है तो उन्हें रिहा कर दिया जाए. सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी आधिकारिक प्रस्ताव के बाद विधि मंत्री फारूक नाइक ने गृह मंत्रालय से कहा कि वह सरबजीत की ‘तत्काल’ रिहाई के लिए कदम उठाएं क्योंकि वह पहले ही आजीवन कारावास की सजा काट चुके हैं.
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और पंजाब के गृह मंत्रालय द्वारा जरूरी औपचारिकताएं पूरी किए जाने के बाद 49 वर्षीय सरबजीत को अगले कुछ दिनों में रिहा किया जा सकता है.
सरबजीत फिलहाल लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है और 20 वर्षों से अधिक समय से मौत की सजा का सामना कर रहे हैं.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी का यह कदम पाकिस्तान के बीमार वैज्ञानिक खलील चिश्ती की रिहाई के करीब एक महीने बाद सामने आया है जो हत्या के आरोप में करीब दो दशक तक राजस्थान की जेल में बंद रहे. उन्हें भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश पर रिहा किया गया था ताकि कराची में वह अपने परिवार से मिल सकें.
दया याचिका में एक दस्तावेज भी था जिस पर एक लाख भारतीय नागरिकों का हस्ताक्षर था जिसमें जरदारी से अपील की गई थी कि उसे चिश्ती के बदले रिहाई दी जाए.
सरबजीत ने कहा कि उसका मामला गलत पहचान का है क्योंकि प्राथमिकी उसके नाम से दर्ज नहीं है.