सुप्रीम कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी नहीं करने के केंद्र सरकार के कदम पर विचार करने के बाद, पहले और दूसरे अध्यादेश के खिलाफ दायर दो जनहित याचिकाओं का निबटारा कर दिया.
न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद के इस कथन का संज्ञान लिया कि भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा व पारदर्शिता का अधिकार संशोधन अध्यादेश, 2015 अब अस्तित्व में नहीं है.
न्यायालय ने जनहित याचिका दायर करने वाले पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रही वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह के अनुरोध पर अध्यादेश लाने के सरकार के अधिकार से संबंधित कानूनी मुद्दों को भविष्य में चुनौती के लिए छोड़ दिया.
केंद्र सरकार को जारी हुआ था नोटिस
इससे पहले, अदालत ने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश फिर से जारी किए जाने को चुनौती देने वाली किसानों के संगठन दिल्ली ग्रामीण समाज की जनहित याचिका पर 16 जुलाई को केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था.
एनडीए सरकार ने पिछले साल दिसंबर में जारी यह अध्यादेश 4 जून को अप्रभावी होने के बाद इसे इस साल अप्रैल में और फिर मई में पुन: जारी किया था. सरकार ने हाल ही में इसे अप्रभावी हो जाने दिया था. दिल्ली ग्रामीण समाज के साथ ही भारतीय किसान यूनियन, ग्राम सेवा समिति और चोगमा विकास अवाम भी इस मामले में सह याचिकाकर्ता थे.
इनपुट: भाषा