सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम फैसले में कहा कि चुनाव आयोग को 'पेड न्यूज' के आरोपों की जांच करने का अधिकार है. यदि किसी उम्मीदवार ने चुनाव के दौरान नामांकन दाखिल करते वक्त अपने चुनावी खर्च में 'पेड न्यूज' पर खर्च की जाने वाली रकम का जिक्र नहीं किया है तो आयोग इसकी जांच कर सकता है. न्यायमूर्ति सुरिंदर सिंह निज्जर और न्यायमूर्ति फक्कीर मोहम्मद इब्राहिम कलिफुल्ला की पीठ ने इस संबंध में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की याचिका खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया.
बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि यदि कोई उम्मीदवार चुनाव के दौरान नामांकन दाखिल करते वक्त अपने चुनावी खर्च में 'पेड न्यूज' पर खर्च की जाने वाली रकम का जिक्र नहीं करता है तो आयोग इसकी जांच कर सकता है. चव्हाण ने हाई कोर्ट के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग प्रतिदिन इस मामले की सुनवाई कर 45 दिनों के भीतर इस शिकायत का निपटारा करेगा.
यह है पूरा मामला
चव्हाण वर्ष 2009 में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव नांदेड़ में भोकर सीट से जीते थे. उन्होंने 1.25 लाख मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. लेकिन उनके विपक्षी निर्दलीय प्रत्याशी माधव किन्हालकर ने चुनाव आयोग में एक शिकायत दर्ज कर चव्हाण पर एक मराठी दैनिक में निश्चित राशि का भुगतान कर 'अशोक पर्व' के नाम से अतिरिक्त परिशिष्ट छपवाने का आरोप लगाया.
चव्हाण और मराठी दैनिक के प्रबंधकों ने हालांकि इससे इंकार करते हुए कहा कि परिशिष्ट के लिए भुगतान नहीं किया गया था.
निर्वाचन आयोग ने किन्हालकर के आरोपों की जांच शुरू की, जिसके बाद चव्हाण ने वर्ष 2010 में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग की जांच प्रक्रिया पर रोक लगाने की अपील की. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया, जिसके बाद चव्हाण ने इसे नवंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.