सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश की सड़कों की हालत पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर सड़क खराब है तो लोग किस बात का टोल टैक्स दें. कोर्ट ने कहा कि अगर सड़कें खराब हैं तो सरकार की नीतियों की वजह से हैं और ऐसे में सरकार ही इसकी भरपाई करे. कोर्ट ने अपने आदेश में लोगों को राहत देते हुए छत्तीसगढ़ में NH-6 का टोल 20 फीसदी घटा दिया है.
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग-6 पर 40 फीसदी टोल बढ़ाने का नोटिफिकेशन जारी किया था. कोर्ट ने केंद्र को इस हाईवे की मरम्मत करने के भी आदेश दिए हैं. छत्तीसगढ़ के रायपुर में NH 6 जर्जर हालत में है. इसे नया नाम NH 53 दिया गया है. इस हाईवे के रखरखाव और टोल वसूलने वाली कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
जांच के लिए बनाई गई कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हाईवे पर करीब 25 किलोमीटर के क्षेत्र में सड़क की हालत बहुत बुरी है. इसकी मरम्मत करने की जरूरत है. इसी मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2 मार्च को जारी नोटिफिकेशन पर भी सवाल उठाए, जिसमें टोल टैक्स को 40 फीसदी बढ़ाया गया था. कोर्ट ने इसे 20 फीसदी करते हुए कहा कि सड़क खराब है तो लोग पूरा टैक्स क्यों दें?
ओवरलोड ट्रकों पर जताई चिंता
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान देशभर में हाईवे पर चलने वाली ओवरलोड ट्रकों पर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि इन ट्रकों की वजह से सड़कों की हालत खस्ता है. ओवरलोडेड ट्रक भी भ्रष्टाचार का एक जरिया हैं. अब इन्हें काबू करने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी. कोर्ट ने कहा, 'क्यों ना हाईवे पर ही वजन करने वाले ब्रिज बनाए जाएं और ओवरलोडेड ट्रकों पर कड़ी कार्रवाई हो.
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या कानून को लागू कराने की है. बेंच की अगवाई कर रहे जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि सड़कों पर ट्रक 20 टन से ज्यादा वजन लेकर चलते हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. अब कोर्ट ही कोई मैकेनिज्म तय करेगा. जस्टिस ठाकुर ने कहा कि मनाली के रास्ते में खुद उन्होंने सीमेंट फैक्ट्री की ट्रकों को देखा है, जिनपर ओवरलोड की वजह से सड़कें नहीं बची हैं. कोर्ट ने मामले में दो अन्य याचिकाओं को भी इसमें शामिल कर लिया है.