केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर रोक के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सबरीमाला बोर्ड से पूछा, 'आप कैसे कह सकते हैं कि जिन पुरुषों ने 40 दिन का व्रत करके मंदिर में पूजा की है, उन्होंने 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन किया है.'
कोर्ट ने पूछा कि जब कोई धार्मिक पूजा पद्धति अपने ही वर्ग के लोगों के बीच फर्क करती है और चोट पहुंचाती है तो क्या इस पद्धति को इजाजत दी जा सकती है? अदालत ने कहा कि कोई प्राइवेट मंदिर है और किसी को रोकता है तो ठीक है लेकिन कोई मंदिर कहता है कि मंदिर सबके लिए है तो उस मंदिर की प्रकृति बदल जाएगी.
सुनवाई के दौरान सबरीमाला बोर्ड के वकील ने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का असर बहुत दूर तक जाएगा और इसका असर देशभर में होगा. यहां तक कि हाजी अली दरगाह में भी ये मुद्दा शुरू हो चुका है. अब इस मामले में अगली सुनवाई 6 मई को होगी.