सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक और तमिलनाडु सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कावेरी जल को साझा करने संबंधी उसके आदेश के बाद दोनों राज्यों में किसी प्रकार की हिंसा या संपत्ति का नुकसान नहीं हो.
इधर, गुरुवार को कर्नाटक में एक दिन का बंद रखा गया है. मांड्या में रेलवे ट्रैक की खास निगरानी हो रही है. कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं और पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है. इससे पहले बंगलुरू के सभी 16 पुलिस थाना क्षेत्रों से बुधवार को स्थिति सामान्य होने के बाद पुलिस ने कर्फ्यू हटा लिया था. इससे पहले यहां दो दिनों तक हिंसक गतिविधियां होती रही थी. सड़क परिवहन, मेट्रो, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों और कॉलेजों में गतिविधियां सामान्य होने के साथ ही देश की आईटी राजधानी में चहल-पहल फिर लौट आयी है.
नहीं मिली रेल रोको आंदोलन की अनुमति
उधर, अधिकारियों का कहना है कि एहतियात के तौर पर सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा अगले आदेश आने तक जारी रहेगी. पुलिस ने कन्नड़-समर्थक नेता वटल नागराज की पार्टी को गुरुवार को रेल रोको आंदोलन करने की अनुमति नहीं दी है. हिंसा के मामलों में 350 लोगों को हिरासत में लिया गया है.
क्या है विवाद का कारण
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देने को कहा था. इसी मुद्दे को लेकर तमाम जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए. सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर को अपने आदेश में बदलाव करते हुए कर्नाटक से कहा कि वह 20 सितंबर तक तमिलनाडु को 12,000 क्यूसेक कावेरी का पानी दे. यह फैसला आने के कुछ ही घंटे बाद हिंसा शुरू हो गयी थी.