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आयुर्वेद के डॉक्टर पर 10 हजार का जुर्माना, कोरोना के इलाज का किया था दावा

आयुर्वेदिक दवा और शल्य चिकित्सा (बीएएमएस) की डिग्री रखने वाले ज्ञानतारा ने अदालत से कहा था कि वह भारत सरकार के सचिव, स्वास्थ्य विभाग को कोविड​​-19 के इलाज के लिए उनकी दवाओं का उपयोग करने का आदेश दे.

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सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो

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  • कोरोना की आयुर्वेदिक दवा खोज लेने का दावा
  • दवा के इस्तेमाल के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

आयुर्वेद के एक डॉक्टर की ओर से कोरोना के इलाज का दावा करने पर सुप्रीम कोर्ट ने 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. हरियाणा के ओमप्रकाश वैद ज्ञानतारा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि उन्होंने कोरोना के इलाज की दवा खोज ली है. वैद ने कहा था कि उनकी दवा का इस्तेमाल देश भर के सभी डॉक्टरों, अस्पतालों द्वारा किया जाना चाहिए.

आयुर्वेदिक दवा और शल्य चिकित्सा (बीएएमएस) की डिग्री रखने वाले ज्ञानतारा ने अदालत से कहा था कि वह भारत सरकार के सचिव, स्वास्थ्य विभाग को कोविड​​-19 के इलाज के लिए उनकी दवाओं का उपयोग करने का आदेश दे. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट का मानना है कि ज्ञानतारा की जनहित याचिका के जरिए रखी गई जानकारी पूरी तरह से ग़लत है. लोगों के बीच यह संदेश जाना जरूरी है कि लोगों को इस तरह की बेतुकी बातें लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर नहीं करनी चाहिए.

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इससे पहले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने डॉक्टरों को दिल्ली हाई कोर्ट जाने के लिए कहा था जिन्होंने कोरोना के इलाज में होमियोपैथी दवा शुरू करने की मांग की थी. कोरोना के हल्के मामलों में होमियोपैथी इलाज शुरू करने के लिए दो होमियोपैथी डॉक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में मांग की गई थी कि केंद्र सरकार को इस बारे में आदेश दिया जाए ताकि होमियोपैथी दवा शुरू करने की इजाजत मिले. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याची को दिल्ली हाई कोर्ट जाना चाहिए.

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