गुजरात में पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हार्दिक पटेल के मामले में सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इनकार कर दिया है. बुधवार को बेंच ने मामले को दूसरी बेंच के पास भेज दिया, जबकि सुनवाई 7 नवंबर तक के लिए टल गई है. हार्दिक ने अपने खिलाफ लगे देशद्रोह के केस को चुनौती दी है और जमानत की मांग की है.
हार्दिक की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने करीब 45 मिनट तक बहस की. जबकि उनका पक्ष सुनने के बाद सुनवाई कर रही जस्टिस गोपाल गौड़ा और जस्टिस अमितॉय रॉय की बेंच ने मामले को आगे सुनने से इनकार कर दिया. इस दौरान दोनों जजों में एक राय नहीं बन पाई और फिर मामले को दूसरी बेंच के पास भेज दिया गया.
सिब्बल ने हार्दिक का पक्ष रखते हुए कहा कि 22 साल के हार्दिक के खिलाफ गलत तरीके से मामला बनाया गया. उनकी जिस बात को लेकर मामला बनाया गया, उन्होंने वह बात किसी पब्लिक स्पीच में नहीं कही थी. ये दो लोगों के बीच की आपसी बातचीत थी. सिब्बल ने कहा, 'यह बात 3 अक्टूबर की है, जबकि एफआईआर 18 अक्टूबर को दर्ज की गई. बीते 15 दिनों में कोई भी घटना नहीं हुई है.' गुजरात सरकार की ओर से अदालत में AG, ASG मौजूद थे.
क्या है मामला
हार्दिक पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाई कोर्ट ने फैसले को चुनौती दी है. वह फिलहाल सूरत जेल में बंद हैं. गुजरात हाई कोर्ट ने पिछले महीने राजद्रोह के आरोप को चुनौती देने वाली हार्दिक की याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में हार्दिक के खिलाफ राजद्रोह का मामला बनता है.
दरअसल, हार्दिक ने 3 अक्टूबर को एक बयान दिया था. इसमें पटेल ने विपुल देसाई नाम के एक लड़के द्वारा सुसाइड की धमकी दिए जाने पर कहा था कि दो-चार पुलिसवालों को मार देना, लेकिन खुदकुशी मत करना. बाद में इस बयान का वीडियो भी वायरल हो गया था.