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भीमा कोरेगांव: SC ने पलटा बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला, आरोपियों को राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब वकील सुरेंद्र गडलिंग, प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रोना विल्सन को जेल भी रहना होगा. हालांकि, अब आरोपी निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को राहत दी.
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को राहत दी.

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भीमा कोरेगांव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर महाराष्ट्र सरकार को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त वक्त देने से इनकार कर दिया. कोर्ट का कहना है कि तय दिनों में चार्जशीट दाखिल ना करने पर भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपी बाइडिफ़ॉल्ट जमानत के हकदार नहीं होंगे.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब वकील सुरेंद्र गडलिंग, प्रोफेसर शोमा सेन, दलित कार्यकर्ता सुधीर धवले, सामाजिक कार्यकर्ता महेश राउत और केरल की रोना विल्सन को जेल भी रहना होगा. हालांकि, अब आरोपी निचली अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं.

आनंद तेलतुंबडे के खिलाफ FIR रद्द करने से इनकार...

इस फैसले के पहले सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी आनंद तेलतुंबडे के खिलाफ एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में वह दखल नहीं दे सकता है. क्योंकि यह मामला शुरुआती दौर में है.

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आनंद ने दी थी एफआईआर को चुनौती...

बता दें कि आनंद तेलतुमडे ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि तेलतुंबडे के खिलाफ अभियोग चलाने लायक सामग्री है. इसलिए

उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है.

यलगार परिषद पर है हिंसा भड़काने का आरोप...

गौरतलब है कि एक जनवरी 2018 को हुए भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में यलगार परिषद पर आरोप है कि उनके भड़काऊ भाषा के कारण हिंसा भड़की. इसके लिए माओवादी संगठन की भी मदद ली गई. हिंसा में सार्वजनिक और निजी संपत्ति का नुकसान भी हुआ.

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