यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को जांच कर रही तीन सदस्यीय कमेटी ने क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की इन हाउस कमेटी ने इस मामले में सोमवार को कहा कि वे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर जो आरोप लगाए गए हैं, वे निराधार हैं. उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं.
जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी ने यौन उत्पीड़न की शिकायत को खारिज कर दिया. जस्टिस बोबड़े के अलावा सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी में जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी दो अन्य सदस्य हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है. ये रिपोर्ट सीजेआई के अलावा वरिष्ठ जजों को भी सौंप दी गई है.
This is a scandal
Indira Jaising v Supreme Court of India was also a case of sexual harassment by a sitting High Court of Karnataka.
It is a pre RTI case and is bad in law
Demand the disclosure of the findings of the enquiry committee in public interest https://t.co/Saw07mBPhV
— indira jaising (@IJaising) May 6, 2019
इधर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कमेटी की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक करने की मांग की है. उन्होंने इसे घोटाला करार देते हुए एक ट्वीट किया है.
वहीं कमेटी के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की पूर्व महिला कर्मचारी ने निराशा जाहिर की है. उन्होंने कहा कि इनहाउस कमेटी को मेरी शिकायत को खारिज कर देना मेरे साथ घोर अन्याय है. उन्होंने कहा कि मैं इस समय बेहद डरी हुई हूं, क्योंकि इन हाउस कमेटी के सामने सब कुछ रखने के बाद भी मेरे साथ न्याय नहीं किया गया, मुझे सुरक्षा नहीं दी गई. उन्होंने अपने और परिवार की सुरक्षा के प्रति भी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि इन हाउस कमेटी जिस नतीजे पर पहुंची है, उसकी एक कॉपी तक मुझे नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि वे अब इस मामले में अपने वकील से बात करने के बाद अगले कदम के बारे में फैसला लेंगी.
इससे पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला इस मामले की सुनवाई कर रही जजों की समिति पर सवाल खड़े कर चुकी हैं. महिला ने समिति पर यौन उत्पीड़न अधिनियम के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. महिला का आरोप था कि समिति द्वारा मुझसे बार-बार पूछा गया कि यौन उत्पीड़न की शिकायत मैंने क्यों देर से की.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए गठित तीन जजों की आंतरिक जांच समिति से जस्टिस एनवी रमण ने खुद को अलग कर लिया था. दरअसल, आरोप लगाने वाली महिला कर्मचारी ने इस समिति में जस्टिस एनवी रमण को शामिल किए जाने पर ऐतराज जताया था.
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला कर्मचारी ने शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को आरोप लगाने वाला यह पत्र भेजा था. पूरे मामले की सुनवाई के लिए इन हाउस कमेटी का गठन किया गया था.
बता दें इससे पहले चीफ जस्टिस गोगोई के खिलाफ एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. चीफ जस्टिस गोगोई ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था. उन्होंने कहा कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत है जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं.