scorecardresearch
 

जजों की नियुक्ति-तबादले के कारण सार्वजनिक करेगा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति से संबंधित कॉलेजियम के फैसले को सार्वजनिक करने का फैसला लिया है, जिससे जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया और ज्यादा पारदर्शी होगी. अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य जजशिप के लिए नामित किसी भी उम्मीदवार का चयन या खारिज करने के कारण सार्वजनिक करेंगे.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति से संबंधित कॉलेजियम के फैसले को सार्वजनिक करने का फैसला लिया है, जिससे जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया और ज्यादा पारदर्शी होगी. अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के सदस्य जजशिप के लिए नामित किसी भी उम्मीदवार का चयन या खारिज करने के कारण सार्वजनिक करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में मोदी सरकार के बनाए एनजेएसी को अवैध घोषित कर दिया था. इसके बाद लंबे अरसे तक जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया लंबित रही थी.

अब जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों पर सरकार ने नियुक्तियां शुरू की हैं तो कॉलेजियम ने भी अपनी तरफ से ज्यादा पारदर्शिता की पेशकश की है. अब कॉलेजियम का फैसला पूरे तर्क और दलीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिखाई देगा. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए चुने जाने वाले या फिर खारिज होने वाले उम्मीदवारों के बारे में कॉलेजियम के पांचों सदस्यों के विचार सार्वजनिक होंगे. कॉलेजियम ने यह कदम उस वक्त उठाया है, जब सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारियों तक ने जजों की निष्ठा पर सवाल उठाए और खुद कॉलेजियम के अंदर भी मतभेद और मनभेद सार्वजनिक हो गया.

Advertisement

ओपन कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस चंद्रचूड़ को सफाई देनी पड़ी कि जो जजों की निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं वो अदालत में आकर देखें कि जनता के हक और जरूरतों को समझते हुए जज कितना भिड़ते हैं. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम की खामियों की ओर लगातार उंगलियां  उठ रही थीं. एक ओर केंद्र सरकार तो दूसरी ओर बार भी बार बार इस प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा कर रहे थे. खुद कॉलेजियम के एक सदस्य जस्टिस चेल्लमेश्वर ने भी सवाल खड़े कर दिए थे.

हालांकि अब कॉलेजियम के सदस्य जजों ने ये फैसला लेकर कई कदम आगे बढ़ने का रास्ता साफ कर दिया है. क्योंकि कॉलेजियम सिस्टम मूल संविधान का नहीं बल्कि प्रशासनिक प्रक्रिया के लिए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के बाद बनाया और अपनाया गया सिस्टम है.

Advertisement
Advertisement