scorecardresearch
 

जस्टिस कुरैशी बनेंगे त्रिपुरा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस! कॉलेजियम की सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुजरात हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस अकील कुरैशी को अब मध्य प्रदेश की बजाय त्रिपुरा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Advertisement

  • जस्टिस कुरैशी को त्रिपुरा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश
  • सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की गुजरात हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज के नाम की सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने गुजरात हाई कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस अकील कुरैशी को अब मध्य प्रदेश की बजाय त्रिपुरा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश की है. बता दें कि इससे पहले कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति अकील कुरैशी को पदोन्नति देकर मप्र उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने का निर्णय लिया था.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा था कि कॉलेजियम का निर्णय शीघ्र ही उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा. लेकिन कानून मंत्रालय ने कानूनी और तकनीकी आपत्तियों के साथ उनकी फाइल पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम को वापस भेज दी थी.

Advertisement

हालांकि, कॉलेजियम के इस फैसले से अब शायद सरकार को आपत्ति नहीं होगी और अगले हफ्ते इस सिफारिश को मंजूर कर लिया जाएगा. गुजरात हाईकोर्ट के वकीलों के एक दल ने जस्टिस अकील कुरैशी को जल्दी चीफ जस्टिस नियुक्त करने को लेकर एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी.

याचिका की वजह ये थी कि जस्टिस कुरैशी के साथ जिन अन्य जजों को विभिन्न हाई कोर्ट में नियुक्त होना था वो पहले ही बन चुके हैं. बस जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति का मामला ही लंबित था.

शीर्ष अदालत ने 28 अगस्त को कहा था कि उसे कानून एवं न्याय मंत्रालय से न्यायमूर्ति कुरैशी की पदोन्नति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश के बारे में एक पत्र मिला है. न्यायमूर्ति कुरैशी की पदोन्नति में हो रहे विलंब के मद्देनजर गुजरात उच्च न्यायालय एडवोकेट्स एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. इसमें दावा किया गया था कि कॉलेजियम की 10 मई की सिफारिश के बावजूद केन्द्र ने अभी तक न्यायमूर्ति कुरैशी के नाम को अधिसूचित नहीं किया है.

याचिकाकर्ता वकीलों ने इस देरी व लापरवाही को जजों की नियुक्ति के लिए तय प्रक्रिया यानी MoP (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 14 और 217 का भी हनन बताया था.

Advertisement

केन्द्र ने 16 अगस्त को न्यायालय को सूचित किया था कि वह कॉलेजियम की दस मई की सिफारिश के बारे में एक सप्ताह के भीतर विचार करेगा. गुजरात उच्च न्यायालय एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष यतिन ओझा ने कथित रूप से कहा था कि न्यायमूर्ति कुरैशी को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उन्होंने 2010 में मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह को पुलिस हिरासत में देने का आदेश पारित किया था. जस्टिस अकील कुरैशी ने ही फर्जी मुठभेड़ मामले में तब के गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह को गुजरात से तड़ीपार का आदेश दिया था.

Advertisement
Advertisement