अपने ही आश्रम की एक नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने के मामले में जेल में बंद स्वयंभू संत आसाराम बापू को एक और झटका लगा है. सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को उन्हें स्वास्थ्य के आधार पर अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.
हालांकि अदालत ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को उनकी स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया है.
मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश
न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की खंडपीठ ने आसाराम की जमानत याचिका खारिज करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए एम्स के
निदेशक को उनकी स्वास्थ्य जांच के लिए तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दिया.
जमानत याचिका खारिज
शीर्ष न्यायालय ने उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट 10 दिनों में पेश करने का आदेश देते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उन्हें एक या दो महीने के लिए अंतरिम जमानत पर छोड़ दिया
जाए. ताकि वह केरल जाकर पंचकर्म आयुर्वेद उपचार करा सकें.
आसाराम के वकील राजू रामचंद्रन ने दलील में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश में आसाराम की शारीरिक समस्याओं को ध्यान में नहीं रखा गया. रामचंद्रन ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि आसाराम को अपने पेशाब और मल त्याग पर नियंत्रण संबंधी समस्या है.