केंद्र की प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने काम रोकने को दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि प्राधिकरण को कानून के मुताबिक काम करने से कैसे रोक सकते हैं ? इसका मतलब है कि संसद की नई इमारत और अन्य सरकारी भवनों के निर्माण के प्रोजेक्ट पर काम नहीं रुकेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान सरकार प्रोजेक्ट पर काम जारी रखती है तो ये उसके जोखिम और कीमत पर है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका में बदलाव करने की इजाजत दी और कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने को कहा है. अब अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी.
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क्या है पूरा मामला
सेंट्रल विस्टा योजना के लिए लैंड यूज बदलने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. 20 हजार करोड़ की इस योजना के लिए 20 मार्च, 2020 को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के पुनर्निर्माण के लिए 86 एकड़ की जमीन का लैंड यूज बदला गया था.
आवास और शहरी मंत्रालय की ओर से लैंड यूज बदलने के खिलाफ दाखिल याचिका में याचिकाकर्ता का कहना है कि यह निर्णय अनुच्छेद 21 के तहत एक नागरिक के जीने के अधिकार के विस्तारित संस्करण का उल्लंघन है. इसे एक क्रूर कदम बताते हुए राजीव सूरी का दावा है यह लोगों को अत्यधिक कीमती खुली जमीन और ग्रीन इलाके का आनंद लेने से वंचित करेगा.
सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की इमारतें, जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों और इंडिया गेट जैसी प्रतिष्ठित इमारतें हैं. केंद्र सरकार एक नया संसद भवन, एक नया आवासीय परिसर बनाकर उसका पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रही है जिसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के अलावा कई नए कार्यालय भवन होंगे.