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मणिपुर फर्जी मुठभेड़ मामले पर SC का आदेश, चार हफ्ते में दायर हो अंतिम रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दो अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महेश भारद्वाज और पुलिस उपाधीक्षक रवि सिंह को उस एसआईटी का सदस्य बनाया जाए जो मुठभेड़ के बचे हुए मामलों की जांच करेगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस द्वारा कथित हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों के चार मामलों में 27 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया है कि सीबीआई की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी SIT में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग NHRC के दो अफसरों को भी शामिल किया जाए.

कोर्ट ने कहा कि ये दो अफसर कथित फर्ज़ी मुठभेड़ के इन चार मामलों को छोड़कर बाकी तमाम मामलों की जांच में भी शामिल रहेंगे. इनको तमाम दस्तावेज़ और ज़रूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. चार्जशीट तैयार करने और ट्रायल कोर्ट में दाखिल करने में भी ये अधिकारी योगदान करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघनों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. मणिपुर में जो कुछ हुआ वह बड़े पैमाने पर नजर आ रहा है. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने यह निर्देश उस समय दिया जब सीबीआई के विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अदालत को बताया कि उनकी चार मामलों में जांच पूरी हो चुकी है और अंतिम रिपोर्ट तैयार हो रही है.

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सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दो अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महेश भारद्वाज और पुलिस उपाधीक्षक रवि सिंह को उस एसआईटी का सदस्य बनाया जाए जो मुठभेड़ के बचे हुए मामलों की जांच करेगी.

गौरतलब है कि मणिपुर में न्यायेत्तर हत्याओं के करीब 1528 मामलों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 जुलाई को मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी जांच करने का आदेश दिया था.

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