उच्चतम न्यायालय ने स्टू़डेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ इंडिया (सिमी) पर प्रतिबंध जारी रखने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने यह रोक अगले 6 हफ्तों तक जारी रखने का निर्देश दिया.
केंद्र सरकार ने अभी हाल ही में उच्चतम न्यायालय से सिमी पर प्रतिबंध को आगे जारी रखने का अनुरोध किया था. ज्ञातव्य हो कि गत पाँच अगस्त को दिल्ली उच्च न्यायालय के एक ट्रिब्यूनल ने सिमी पर लगे प्रतिबंध को यह कहते हुए हटा दिया था कि केंद्र सरकार के पास सिमी के ख़िलाफ़ पर्याप्त सुबूत नहीं हैं.
इसके अगले ही दिन केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की थी और इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंध हटाने के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी और तीन सप्ताह का समय दिया था. केंद्र सरकार ने इसी साल फ़रवरी में सिमी पर चरमपंथी और विघटनकारी कार्यों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था.
पिछले दिनों बंगलौर और अहमदाबाद में हुए बम विस्फोटों के पीछे भी राज्य सरकारों ने सिमी के शामिल होने का आरोप लगाया है. एडीशनल सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने तो यहां तक कहा कि यदि सिमी पर प्रतिबंध को आगे नहीं बढ़ाया जाता है तो इसका देश के हितों पर विपरीत असर पड़ेगा.
छह अगस्त को मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अदालत में केंद्र सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के ट्रिब्यूनल के फ़ैसले पर रोक लगाने की याचिका पेश की गई थी.
उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए सिमी को भी नोटिस जारी किया था और सुनवाई के लिए तीन हफ़्ते बाद का समय दिया था. केंद्र सरकार का तर्क है कि उच्च न्यायालय ट्रिब्यूनल ने सरकार की ओर से दी गई ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सिमी काफी सक्रिय रहा है. राज्य के कानपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़ में इसकी काफी अच्छी पकड़ है. महाराष्ट्र के जलगांव, पुणे एवं दक्षिण भारत में हैदराबाद, बंगलूरू में भी सिमी की अच्छी पकड़ है. इस पर देश में कई आतंकी हमलों में शामिल होने का आरोप भी लगते रहा है.
सिमी को विदेशों से भी सहायता मिलती रही है. अपने स्थापना के 29 वर्षों में इसने छात्र संगठन के रूप में कम और आतंकी गतिविधियों के रूप में ज्यादा पहचान बनाई. केंद्र सरकार का कहना है कि सिमी का संबंध पाकिस्तानी खुफिया संगठन आईएसआई सहित लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन जैसे कई आतंकी संगठनों से है.