देश के सूखा प्रभावित इलाके के लोगों को राहत देने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पार्ट-2 फैसले में बड़ा आदेश दिया है. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि देश के 12 सूखा प्रभावित राज्यों में गर्मी की छुटी के दौरान भी बच्चों को मिड-डे मील दिया जाए. इसके लिए सभी राज्यों में फूड कमिश्नर बनाए जाएं, जो कि इस बात को सुनिश्चित करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टिपण्णी करते हुए कहा 'केन्द्र धुंए की परत के पीछे बैठ कर फंड की कमी का रोना नहीं रो सकता'.
फैसले की अहम बातें:
1. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार के मुताबिक मनरेगा 50 फीसदी सफल साबित हुई है, लेकिन ये सफलता कोई गर्व करने लायक नहीं है. सरकार का यह आंकड़ा कोई ज्यादा नहीं है. सरकार को ये नहीं भूलना चाहिए कि मनरेगा 50 फीसदी असफल भी साबित हुई है.
2. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वो मनरेगा के तहत लोगों को रोजगार के लिए दी जाने वाली राशि का बकाया पैसा फौरन जारी करे.
3. कोर्ट ने कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों में किसी भी शख्स को अनाज के लिए मना न किया जाए. फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत जो प्रावधान है, उसके अनुसार अनाज बांटा किया जाए. उन लोगों को भी अनाज देने से इंकार न किया जाए, जिनके पास राशन कार्ड न हो.
4. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि 15 दिन से ज्यादा पेमेंट में देरी होने पर मुआवजा दिया जाए.
5. सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वो अपने-अपने यहां फूड कमिश्नर की नियुक्ति करे जो ये सुनिश्चित करें कि पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम कारगर हो.
6. कोर्ट ने कहा कि आपदा प्रबंधन कानून के तहत फंड को जल्द से जल्द आवंटित किया जाए.
7. खेती के लिए दिए जाने वाले ऋण के मामले में आरबीआई की गाइडलाइंस का पालन किया जाए. कानून, केंद्र और राज्य दोनों के लिए ये बाध्यकारी है.
8. सरकार फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत मनरेगा का अनुपालन करे. फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत कर्मचारी गारंटी काउंसिल का गठन किया जाए.
गौरतलब है कि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसले के पार्ट-1 में केंद्र सरकार को कहा था कि वो देश के राज्यों में सूखे जैसी आपदा से लोगों को राहत देने के लिए एक कॉमन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन पॉलिसी बनाए. 12 राज्यों में सूखे पर केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश के लिए स्वराज अभियान की तरफ से दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में तीन चरणों में अपना फैसला सुनाएगी.