सुप्रीम कोर्ट ने संकाय सदस्यों के लिये विभागवार आरक्षण के खिलाफ केंद्र और यूजीसी की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. उच्चतम न्यायालय ने संकाय सदस्यों के लिए विभागवार आरक्षण के खिलाफ केंद्र और यूजीसी की पुनर्विचार याचिका के संबंध में बुधवार को कहा कि संकाय सदस्यों की नियुक्ति में एससी-एसटी या ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिये विश्वविद्यालयों या कॉलेजों को नहीं, बल्कि विभाग विशेष को एक इकाई माना जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के उस अनुरोध को भी ठुकरा दिया, जिसमें पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई करने के लिए भी याचिका दायर की गई थी. न्यायमूर्ति यू. यू. ललित और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने केंद्र, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और कई अन्य लोगों की ओर से दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
दो बेंचो की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पुनर्विचार याचिका में जो आधार दिये गए हैं, उसे विशेष अनुमति याचिका में भी उठाया गया था. इस पर अदालत ने विचार किया था हमने पुनर्विचार याचिकाओं का अवलोकन किया है और समीक्षा अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप को सही ठहराने के लिये रिकॉर्ड में स्पष्ट त्रुटि नहीं पाते हैं. ये समीक्षा याचिकाएं इसलिए खारिज की जाती हैं.
केंद्र और यूजीसी की पुनर्विचार कि अपील को इसलिए खारिज कर दिया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 2 बेंचो की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को सही पाया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र और यूजीसी की अपीलों को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि संकाय के पदों में एससी-एसटी या ओबीसी आरक्षण के लिये पदों की गणना कॉलेज या विश्वविद्यालयवार करने की जगह विभागवार की जाएगी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संकाय सदस्यों के लिये आरक्षण नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए 7 अप्रैल 2017 को एससी-एसटी या ओबीसी श्रेणियों के लिए शिक्षकों के पदों को भरने के लिये यूजीसी के एक परिपत्र को निरस्त कर दिया था.
क्या है 13 प्वाइंट रोस्टर
ऐसा रजिस्टर बनाना जिसमें 13 नियुक्तियों को सिलसिलेवार तरीके से दर्ज करना होगा. शुरू के तीन पद अनारक्षित होंगे और इसके बाद चौथा पद ओबीसी को जाएगा. इसके बाद सातवां पद एससी को मिलेगा. फिर आठवां पद ओबीसी को मिलेगा और इसके बाद अगर डिपार्टमेंट में 14 वां पद आता है तब जाकर वो एसटी को मिलेगा.