सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को एक बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने संजय दत्त की ओर से दलीलें सुनने के बाद 6 महीने की मोहलत देने से इंकार किया. गौरतलब है कि फिल्म इंडस्ट्री के 278 करोड़ संजय दत्त पर लगे हैं.
इससे पहले 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के एक मामले में दोषी जैबुन्निसा अनवर काजी की अर्जी को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया था. जैबुन्निसा ने अपनी अर्जी में सरेंडर करने के लिए मोहलत मांगी थी. गौरतलब है कि आर्म्स एक्ट के तहत जैबुन्निसा को पांच साल की सजा मिली है. इसके अलावा इशहाक मोहम्मद और शहरीफ अब्दुल की याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
साल 1993 के मुम्बई बम धमाकों के मामले में अवैध हथियार रखने के दोषी पाए गए अभिनेता संजय दत्त की आत्मसमर्पण की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाए जाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मामले की सुनवाई बुधवार सुबह 10.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी थी. न्यायमूर्ती पी. सदाशिवम की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए मानवीय आधार पर यह फैसला दिया.
चंद दिनों पहले सरेआम आंसुओं की धार के बीच सुबकते हुए संजय दत्त ने ऐलान किया था कि वो अब माफी की प्रार्थना नहीं करेंगे, वक्त पर जेल पहुंच जाएंगे. लेकिन अब मोहलत मांगी है, 6 महीने की ताकि अधूरी फिल्में पूरी कर सकें. उन्होंने दलील दी थी कि उनकी 7 फिल्में अधूरी हैं, सब मिलाकर 278 करोड़ की लागत का नुकसान होगा.
मुन्नाभाई का रोल करके दुबारा लोगों के जेहन में महात्मा गांधी की याद ताजा कराने वाले संजू बाबा ने अपनी याचिका में कहा था कि अगर समय नहीं दिया गया तो सैकड़ों मजदूरों की रोजी-रोटी पर असर होगा. उन्होंने कानून में अटूट आस्था जताते हुए कहा था कि उन्होंने फैसले के बाद कोई नई फिल्म साइन नहीं की.
जिनकी फिल्में अटकी हैं वो भी सुप्रीम कोर्ट से संजय दत्त के लिए थोड़ी रहम की गुहार लगा रहे हैं. फिल्म निर्माता अपूर्व लखिया ने बताया, ‘हमने एक लेटर लिखा है, जिसमें लिखा है कि जबतक काम खत्म नहीं होता उन्हें छूट मिलनी चाहिए.’
उधर, जैबुन्निसा ने अपनी उम्र का हवाला देते हुए कोर्ट से राहत की गुहार लगाई थी. 70 साल की जैबुन्निसा किडनी के कैंसर से पीड़ित हैं, उसका इलाज चल रहा है. जैबुन्निसा ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे ना केवल लगातार डॉक्टरों की देखरेख में रहने की जरूरत है, बल्कि हमेशा एक देखभाल करनेवाला भी चाहिए. उसने कहा था कि इस हालत में जेल में रहते हुए वह बच नहीं पाएगी.
संजय दत्त की दलीलों के जवाब कुछ वाजिब सवाल भी बनते हैं. वो सवाल कुछ यूं हो सकते हैं:
-फिल्म बनाकर क्या देश पर एहसान कर रहे हैं संजय दत्त?
-क्या प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों का रोजगार स्थायी है?
-जब मालूम था कि हाई कोर्ट से सजा मिल चुकी है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी जल्द आएगा, तो फिर नई फिल्में साइन क्यों की?
-मुन्ना के आधार पर नरमी हो तो कांचा-चीना, खलनायक और दूसरे गुनहगारों की भूमिका पर क्या सख्ती होनी चाहिए?
-संजय दत्त की 7 फिल्में रिलीज नहीं होंगी तो क्या देश को बड़ा नुकसान हो जाएगा?
कुछ सवाल कानून के जानकार भी पूछ रहे हैं:
संजय दत्त जैसे ही आरोप और वैसी ही सजा पाए 1993 मुंबई धमाकों के तीन गुनहगारों जैबुन्निशा, काजी और अब्दुल गफूर की मोहलत की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ही खारिज कर दी थी. ऐसे में संजय दत्त के लिए मोहलत पाने की राहें भी आसान नजर नहीं आ रही.