सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि मुस्लिम भी किशोर न्याय कानून के तहत किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं, क्योंकि इस कानून की राह में मुस्लिम पर्सनल लॉ आड़े नहीं आता है.
प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किशोर न्याय कानून के तहत बनाए गए नियम उस प्रावधान को मजबूती प्रदान करते हैं, जो सभी धर्मों और समुदायों पर लागू होते हैं और उससे किसी का निजी धार्मिक विश्वास खंडित नहीं होता है.
अदालत ने यह व्यवस्था सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी की याचिका पर दी. हाशमी ने अदालत से बच्चा गोद लेने के लिए सभी धर्मों और समुदायों पर लागू होने वाले दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की थी.