सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ किया है कि दिल्ली- एनसीआर में केवल ग्रीन पटाखे ही बिकेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिवाली के लिए पटाखे बन चुके हैं लेकिन इन्हें दिल्ली- एनसीआर (नोएडा और गुड़गांव) में नहीं बेचा जा सकेगा. इसके अलावा इन्हें कहीं भी बेच सकते हैं.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अब प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे नहीं बनाए जाएंगे और पूरे भारत में केवल ग्रीन पटाखों का ही निर्माण होगा. इससे पहले भी कोर्ट ने कहा था कि यह कोशिश की जाए कि कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का इस्तेमाल हो ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान ना पहुंचे.
सुप्रीम कोर्ट इससे पहले पटाखे फोड़ने के लिए समयसारिणी जारी कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, दिवाली पर लोग रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जला पाएंगे. इसके अलावा कोई भी विक्रेता ऑनलाइन पटाखे नहीं बेच पाएगा.
पंजाब- हरियाणा में भी पटाखे जलाने के समय में बदलाव
चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में भी दीवाली और गुरुपर्व के दिन पटाखे जलाने का समय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बदल दिया है. नये समय के मुताबिक अब चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा में दीपावली और गुरुपर्व पर रात 8 से 10 बजे के बीच ही पटाखे जला सकेंगे.
पिछले साल लगाया था बैन
इससे पहले पिछले साल कोर्ट ने प्रदूषण के मद्देनजर दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी. दिवाली से ठीक पहले 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध लगाते हुए अपने आदेश में यह भी कहा था कि कुछ शर्तों के साथ पटाखों की बिक्री एक नवंबर, 2017 यानी दिवाली गुजर जाने के बाद फिर से की जा सकेगी.
2016 में दीवाली के बाद बढ़े प्रदूषण के मुद्दे पर दाखिल एक याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में दिल्ली-एनसीआर में पटाखे की बिक्री पर बैन लगा दिया था. हालांकि 12 सितंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पाबंदी वाले आदेश में संशोधन कर दिया और कुछ शर्तों के साथ पटाखा विक्रेताओं के अस्थायी लाइसेंस की संख्या में 50 फीसदी कटौती करने का आदेश दिया था.
साथ ही कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में दूसरे राज्यों से पटाखे लाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसले ने एक बार फिर नवंबर 2016 के पुराने आदेश को बहाल करते हुए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दे दिया था.
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
- ग्रीन पटाखे दिखने में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं लेकिन इनसे प्रदूषण कम होता है.
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के अनुसार ये पटाखे सामान्य पटाखों से 30% तक कम प्रदूषण फैलाते हैं.
- ये पटाखे तीन तरह के होते हैं- सेफ वॉटर एंड एयर स्प्रिंकलर्स (SWAS), सेफ थर्माइट क्रैकर (STAR) और सेफ मिनिमल एल्यूमिनियम (SAFAL)
- ये पटाखे सामान्य पटाखों से कम लागत में तैयार होते हैं.