सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अधिकारी एस मंजूनाथ की हत्या मामले में बुधवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने हत्या के जुर्म में पेट्रोल पंप के मालिक सहित छह दोषियों की उम्र कैद की सजा बरकरार रखी है. मंजूनाथ ने पेट्रोल पंप में मिलावट और अनियमितताओं का भंडाफोड़ किया था.
कर्नाटक निवासी मंजूनाथ ने लखनऊ आईआईएम से शिक्षा ग्रहण की थी. मंजूनाथ ने पेट्रोल पंप पर मिलावटी ईंधन की बिक्री के मामले में इसका लाइसेंस रद्द करने की धमकी दी थी. इसी के बाद उन्हें 19 नवंबर 2005 को लखीमपुर खीरी जिले के गोला इलाके में गोली मार दी गई थी. इस हत्याकांड में पेट्रोल पंप के मालिक पवन कुमार मित्तल, उनके सहयोगी देवेश अग्निहोत्री, राकेश कुमार आनंद, शिवकेश गिरि, विवेक शर्मा और राजेश वर्मा को आईपीसी के प्रावधानों के तहत हत्या, साजिश और सबूत मिटाने और शस्त्र कानून के तहत दोषी ठहराया गया था.
जज एसजे मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति एनवी रमण की खंडपीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषियों की अपील खारिज कर दी. हाई कोर्ट ने मित्तल की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था. जजों ने अपने फैसले में कहा, 'हम महसूस करते हैं कि मृतक की नृशंस तरीके से हत्या के पीछे की मंशा को अभियोजन सामने लाने में सफल रहा है. रिकॉर्ड में उपलब्ध साक्ष्यों के मद्देनजर हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंजूनाथ ने 13 सितंबर 2005 को मेसर्स मित्तल ऑटोमोबाइल्स का निरीक्षण किया था और वहां मिली अनियमितताओं की सूचना इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को दी थी. इस वजह से मित्तल के पेट्रोल पंप के लिए आपूर्ति और बिक्री निलंबित कर दी गई थी.'
जजों ने कहा, 'हालांकि बिक्री और आपूर्ति 19 अक्तूबर 2005 को शुरू हो गई थी, मंजूनाथ ने अपनी हत्या से एक दिन पहले 18 नवंबर 2005 को फिर पेट्रोल पंप का निरीक्षण किया था. मित्तल को यह संदेह था कि मृतक एक बार फिर कथित अनियमितताओं के बारे में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को रिपोर्ट देगा और इसी दुर्भावना की वजह से उसने दूसरे अभियुक्तों की मदद से उसकी हत्या कर दी.'
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह निचली अदालत के निष्कर्ष से पूरी तरह सहमत हैं कि अभियुक्तों ने मृतक की हत्या की साजिश रची. अभियोजन मृतक को ठिकाने लगाने की अभियुक्तों की सांठगांठ संदेह के परे साबित करने में सफल रहा है.
-इनपुट भाषा से