सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. अदालत ने उन्हें जमानत के लिए 10 हजार रुपये का निजी मुचलका भरने की शर्त रखी है.
'वारंट ही आखिरी रास्ता'
सर्वोच्च अदालत ने कर्णन को 31 मार्च को हाजिर होने का आदेश दिया है. पश्चिम बंगाल पुलिस के महानिदेशक को निर्देश दिया गया है कि वो जस्टिस कर्णन तक वारंट पहुंचाएं. कर्णन के खिलाफ अवमानना के मामले की सुनवाई कर रही 7 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा- 'अब हमारे पास और कोई रास्ता नहीं रह जाता कि कोर्ट में उनकी पेशी सुनिश्चित की जाए.' इससे पहले संवैधानिक पीठ ने जस्टिस कर्णन को 13 फरवरी को अदालत में पेश होने को कहा था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसके बाद अदालत ने जस्टिस कर्णन को आज कोर्ट में हाजिरी लगाने का मौका दिया था.
क्या हैं आरोप?
भारतीय कानून के इतिहास में ये पहला मौका है जब किसी मौजूदा जज के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी हुआ है. जस्टिस कर्णन पर आरोप है कि उन्होंने पीएम मोदी को खत लिखकर 20 मौजूदा और रिटायर्ड जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया था. जस्टिस कर्णन ने सभी न्यायिक और प्रशासनिक काम पहले ही छीन लिए गए थे. उन्हें अपने अधीन सभी फाइलों को कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को सौंपने का भी आदेश दिया था. आरोपों के जवाब में जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखकर कहा था कि उन्हें दलित होने की वजह से निशाने पर लिया जा रहा है.
वारंट जारी होने के बाद जस्टिस कर्णन ने कहा कि उनकी जिंदगी और करियर को तबाह करने के लिए जानबझूकर वारंट जारी किया गया है.
विवादों से नाता
जस्टिस कर्णन मद्रास हाईकोर्ट के जज रहने के दौरान भी विवादों में रह चुके हैं. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की ओर से जारी उनके तबादले के आदेश को ही रोक दिया था. उन्होंने देश के चीफ जस्टिस से अपने ट्रांसफर सफाई भी मांगी थी.