पुलिस एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने कहा है कि हर एनकाउंटर की तुरंत एफआईआर दर्ज हो. जब तक जांच चलेगी, तब तक संबंधित पुलिस अधिकारी को प्रमोशन या गैलेंट्री अवॉर्ड नहीं मिलेगा. शीर्ष अदालत ने कहा है कि पुलिस मुठभेड़ के सभी मामलों की जांच सीबीआई या सीआईडी जैसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जानी चाहिए.
अदालत ने पुलिस मुठभेड़ के मामलों को लेकर मंगलवार को गाइडलाइंस जारी की. इनके मुताबिक जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि मुठभेड़ सही थी, इसमें शामिल पुलिस अफसरों को कोई प्रमोशन नहीं दिया जाएगा. मुठभेड़ की घटना पर तत्काल एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और सभी मामलों की मजिस्ट्रेटी जांच हो. फैसले में यह भी कहा गया है कि पुलिसवालों को अपराधियों के बारे में मिली सूचना को रिकॉर्ड कराना होगा और हर एनकाउंटर के बाद अपने हथियार और गोलियां जमा करने होंगे.
अदालत के निर्देशों के मुताबिक पुलिस मुठभेड़ के सभी मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) दखल नहीं देगा, जब तक इस बात की पूरी आशंका हो कि एनकाउंटर फर्जी था. पुलिस मुठभेड़ के मामले में एफआईआर दर्ज कर इसे तत्काल मजिस्ट्रेट को भेजना होगा. अगर पीड़ित पक्ष को लगता है कि एनकाउंटर फर्जी था तो वह सेशन कोर्ट में केस दर्ज करा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस एनकाउंटर पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये गाइडलाइंस जारी किए. याचिकाकर्ता सूरत सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी मुठभेड़ों पर व्यापक गाइडलाइंस जारी की है जिन्हें सेक्शन 144 के तहत एक कानून माना जाएगा.