नौ हजार करोड़ का कर्ज लेकर विदेश भाग चुके कारोबारी विजय माल्या को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बैंकों के समूह की तरफ से दायर अवमानना याचिका पर माल्या को नोटिस जारी किया है और 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.
भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में बैंकों के समूह ने अपनी याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद माल्या ने अपनी संपत्तियों का पूरा ब्योरा नहीं दिया. यह कोर्ट की अवमानना है, इसलिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.
मामले में काफी कम समय के लिए चली अदालत की कार्यवाही के दौरान बैंकों के समूह की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, 'माल्या ने जो रकम बैंकों से लोन ली वो जनता का पैसा है. कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्होंने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा नहीं दिया है, इसलिए उसके खिलाफ अवमानना के तहत केस चलना चाहिए.'
'2500 करोड़ के लेनदेन का कोई हिसाब नहीं'
रोहतगी के मुताबिक, माल्या ने अपनी संपत्ति के बारे में शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में गलत ब्योरा दिया है. उन्होंने कहा है कि कई सूचनाओं को छुपाया गया है, जिनमें 2,500 करोड़ रुपये का लेनदेन भी शामिल है. यह अदालत की अवमानना है. बेंगलुरू के डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के खिलाफ चल रही कार्यवाही को पूरा करने के लिए ट्रिब्यूनल को और वक्त दे दिया है.
'जांच में सहयोग नहीं कर रहे माल्या'
गौरतलब है की सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले शराब कारोबारी विजय माल्या से उनकी संपत्ति का सीलबंद लिफाफे में ब्योरा मांगा था. बैंकों के समूह ने हाल ही आरोप लगाया था कि माल्या मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. साथ ही विदेशों में मौजूद संपत्ति के बारे में भी जानकारी नहीं दे रहे हैं. बैंकों ने कहा था कि माल्या और उसके परिवार की विदेशों में मौजूद संपत्ति की जानकारी उससे बकाये की वसूली के मामले में काफी अहम होगी.
बता दें कि विजय माल्या इस वक्त ब्रिटेन में हैं और फिलहाल उनके भारत वापसी के कोई आसार नहीं लगते.