सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की ओर से मीडिया में आकर पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस किए जाने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चेलमेश्वर द्वारा उठाए गए सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था में पहली बार ऐसा हुआ है कि कोई मौजूदा चीफ जस्टिस के खिलाफ सवाल उठाने चार जज मीडिया के सामने आए. ये भारतीय न्यायिक व्यवस्था के लिए दुखद दिन है.
माजिद मेमन ने कहा- यह दुख की बात
सीनियर अधिवक्ता माजिद मेमन ने कहा कि ये बड़ी दुखद बात है कि पब्लिक में आकर सुप्रीम कोर्ट के जज चीफ जस्टिस के खिलाफ खुलेआम बोल रहे हैं. ये शर्मनाक बात है. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. पहले होता था कि खुले तौर पर इस तरह की बातें सामने नहीं आती थी. उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री को इस मामले को अपने संज्ञान में इस बात को लेना चाहिए.
केटीएस तुलसी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो इल्जाम लगाए हैं, उसकी जांच होनी चाहिए
वरिष्ठा अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि ये दुखद दिन है. ये सुप्रीम कोर्ट का मामला है, जहां लोगों के विश्वास से जुड़ा हुआ मामला है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जजों ने जो इल्जाम लगाए हैं, उसकी जांच होनी चाहिए. ताकि देश और लोगों का विश्वास बना रहे. उन्होंने कहा कि किसी जज के खिलाफ कोई मामला सामने आए तो ऐसे में उस जज को अपने आपको उस मामले से अलग कर लेना चाहिए. ऐसा नहीं हुआ है तभी तो जज मीडिया के सामने आए हैं.
केटीएस तुलसी ने कहा कि जजों का ऐसे सामने आना धूप की किरण की तरह है, जिसकी रोशनी के पड़ते ही सारी चीजें छट जाती हैं. ये सुप्रीम कोर्ट के लिए बेहतर भी है, ताकि लोगों का विश्वास बना रहे. उम्मीद है कि जजों के इस कदम से न्यायपालिका में बदलाव आएगा और लोगों का विश्वास मजबूत होगा.
पूर्व कानून मंत्री ने कहा- SC में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा कि जजों का मीडिया के सामने आना संस्थागत ढांचे के लिए गहरी चोट है. इससे एक बात और साफ हुई है कि सुप्रीम कोर्ट में सब ठीक नहीं चल रहा है. ये दुखद बात है.
पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराब ने कहा कि बहुत निराशाजनक बात है कि जज मीडिया के सामने गए. उन्हें मुख्य न्यायाधीश से ही बात करनी चाहिए थी. सुप्रीमकोर्ट विभाजित नजर नहीं आनी चाहिए.