सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों को आधार से जोड़ने के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की विधायक महुआ मोइत्रा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं पहले से ही उसके समक्ष लंबित (पेंडिंग) हैं, ऐसे में समान मुद्दे उठाने वाली हजारों याचिकाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता. न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि हमें समान मुद्दे पर हजारों याचिकाओं की सुनवाई क्यों करनी चाहिए? यह मुद्दा पहले ही दूसरी याचिकाओं में उठाया जा चुका है.
कोर्ट ने कहा कि हम आपको इजाजत देते हैं कि आप यह मुद्दा संविधान पीठ के समक्ष याचिका दायर कर उठाएं. इसके साथ ही पीठ ने तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा को लंबित मामले में पक्ष बनने के लिए याचिका दायर करने की इजाजत दे दी. यह मामले इस महीने के आखिरी हफ्ते में संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएंगे. यह मामले इस महीने के आखिरी हफ्ते में संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आएंगे. भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता जोहैब हुसैन ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहले ही आधार से जुड़ी 27 याचिकाएं विचारार्थ लंबित हैं.
मोइत्रा के वकील ने जब पीठ से मामले की सुनवाई का अनुरोध किया तब न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि मुझे लगता है कि आधार के हर पहलू को पहले ही अदालत में चुनौती दी जा चुकी है. पीठ ने कहा, अदालत के सामने पहले से ही बहुत सारी यचिकायें विचारार्थ लंबित हैं, ऐसे में इस जनहित याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर को यह स्पष्ट किया था कि बैंक और टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को उपभोक्ताओं के साथ अपनी बातचीत में उन्हें यह संकेत देना होगा कि बैंक खातों और टेलीफोन नंबरों को आधार से जोड़ने की आखिरी तारीख क्या है.
अभी बैंक खातों को आधार से जोड़ने की आखिरी तारीख इस साल 31 दिसंबर तक है जबकि मोबाइल नंबर से इसे जोड़ने की आखिरी तारीख छह फरवरी 2018 है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने 30 अक्टूबर को कहा था कि उसके समक्ष आए आधार से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए संविधान पीठ का गठन किया जाएगा जो इस पर सुनवाई करेगी.
बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुली चेतावनी दी थी कि वह अपने मोबाइल को आधार से लिंक नहीं करेंगी, भले ही उनका फोन बंद क्यों न कर दिया जाए. इसके चलते ममता ने मोबाइल फोन नंबर को आधार कार्ड से लिंक करने के विरोध में याचिका दायर की थी और फिर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी. कोर्ट ने ममता सरकार से कहा कि वह संसद से पास कानून के खिलाफ कैसे जा सकती हैं, राज्य सरकार कैसे कानून के खिलाफ जा सकती है?